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देश के लिए मर मिटने वाले इस शहीदों को सलाम : वापस लौटकर मकान बनाऊंगा.. ऐसा कहकर गए थे शहीद राम, अब कभी वापस नहीं आएंगे

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों की पार्थिव देह को शुक्रवार शाम 7 बजे पालम एयरपोर्ट पर लाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 40 शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनकी पार्थिव देहों की परिक्रमा की। एयरपोर्ट पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, तीनों सेनाओं के प्रमुखों और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत, तमाम केंद्रीय मंत्रियों ने जवानों को श्रद्धांजलि दी।

इससे पहले राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर पहुंचे। यहां उनके साथ कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, सेना के उत्तरी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने श्रीनगर में श्रद्धांजलि दी। राजनाथ सिंह ने जवानों की पार्थिव देह को कंधा दिया।

राजनाथ सिंह ने कहा- पुलवामा हमले के बाद फैसला किया गया है कि सुरक्षा बलों के बड़े काफिले गुजरने पर आम लोगों को का परिवहन रोक दिया जाएगा। इससे नागरिकों को परेशानी होगी, हम इसके लिए माफी मांगते हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमले के गुनहगारों को सजा जरूर मिलेगी। हमने इसके लिए सुरक्षा बलों को पूरी स्वतंत्रता दे दी है। सैनिकों के शौर्य पर भरोसा है। जवानों के खून की बूंद-बूंद का बदला लेंगे।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आ’तंकी हमला में मैनपुरी का लाल भी शहीद हुआ है। सैनिक के गृह जनपद में शोक के काले बादल छाए हुए हैं। जनपद में चारों तरफ पाकिस्तान व आ’तंकियों के खिलाफ आक्रोश है। वहीं, भारत मां के अपने इस लाल के पार्थिव शरीर की एक झलक पाने को पूरा जनपद लालायित है।

थाना बरनाहल क्षेत्र में विनायकपुर के मूल निवासी रामवकील माथुर सीआरपीएफ की 176 बटालियन में तैनात थे। आ’तंकी हमला में सैनिक के शहीद होने की सूचना से घर में कोहराम मचा हुआ है। घर पर ग्रामीणों का जमाबड़ा लग गया है।

छुट्टी बीताकर हाल में गये थे ड्रयूटी

जानकारी के मुताबिक, बीते 07 फरवरी तक रामवकील घर पर छुट्टी बिताए। उसी के एक दिन बाद 08 फरवरी को ड्यूटी के लिए रवाना हो गये थे। शहीद रामवकील अपने पीछे पत्नी गीता के साथ बच्चे राहुल (15) साहुल(10) और गोलू(3) को छोड़ गये हैं। उनकी मां का नाम अमितश्री है। वहीं, पिता की बहुत पहले ही मौत हो चुकी है। बड़े भाई रामनरेश ही परिवार की देखभाल करते हैं।

गुरुवार को सैनिक ने की थी पत्नी से बातचीत: हमला के दिन ही पत्नी गीता से रामवकील की बात हुई थी। उन्होंने परिवार को अपने सकुशल पहुंचने की जानकारी दी थी और घर का हाल जाने थे। घर वालों से रामवकील की करीब-करीब प्रतिदिन बात होती रहती थी। ग्रामीणों के अनुसार गांव और आसपास के युवा रामवकील से बहुत प्रभावित हैं और उनकी राह पर चलने के सपने देखते हैं।

नया घर बनवाने का वायदा रह गया अधूरा

वीरगति को प्राप्त रामवकील के बच्चे केन्द्रीय विद्यालय इटावा में पढ़ते हैं। बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने की सोच कर चलते रामवकील अपनी पत्नी और बच्चों को इटावा में एक किराये के मकान में शिफ्ट किए थे। पत्नी गीता के अनुसार, रामवकील फिर अगली बार वापस छुट्टी पर आकर नया घर बनवाने का वायदा करके गए थे।

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