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डेथ वॉरंट जारी 22 जनवरी को होगी निर्भया के दोषियों को फांसी

Nirbhaya Case Death Warrant : 16 दिसंबर, 2012 को 23-वर्षीय निर्भया तथा उसका मित्र दक्षिणी दिल्ली में एक फिल्म देखकर घर लौटने के लिए सवारी तलाश कर रहे थे, जब उन्हें बहला-फुसलाकर प्राइवेट बस में बिठा लिया गया, जिसमें उनसे पहले ड्राइवर तथा क्लीनर को मिलाकर कुल छह लोग सवार थे। इसके बाद कई घंटों तक निर्भया के साथ बलात्कार किया गया, और उसे लोहे की छड़ से यातना भी दी गई, और अंत में उसे बेहद बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया गया। इसके बाद इलाज के दौरान 29 दिसंबर को निर्भया की मौत ने पूरे देश को हताश करके रख दिया था।

Nirbhaya Case

2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला भारत की राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई एक बलात्कार तथा हत्या की घटना थी। 30 दिसम्बर 2012 को उसका शव दिल्ली लाकर पुलिस की सुरक्षा में जला दिया गया। इस घटना की निन्दा करते हुए सोशल मीडिया में ट्वीटर फेसबुक आदि पर काफी कुछ लिखा गया। इस घटना के विरोध में पूरे देश में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए जिसमें नई दिल्ली, कलकत्ता और बंगलौर में हुए प्रदर्शनों उल्लेखनीय हैं। निर्भया की घटना के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध पर नए सिरे से एक नई बहस शुरू हुई। इस घटना के विरोध में पूरे देश में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए। सोशल मीडिया में ट्वीटर, फेसबुक आदि पर काफी कुछ लिखा गया।

साल 2012 में निर्भया गैंगरेप मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों का डेथ वॉरंट जारी कर दिया गया। इन चारों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। इस बीच अगर चारों दोषी चाहें तो क्यूरेटिव पिटिशन या दया याचिका दाखिल कर सकते हैं। इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की।

ऐसा दिखता है डेथ वॉरंट : Nirbhaya Case Death Warrant

Death Warrent

जो कानूनी कागजात फॉर्म नंबर 42 देख रहे हैं, यही होता है ब्लैक वॉरंट यानी डेथ वॉरंट। इसमें लिखा भी हुआ है वॉरंट ऑफ (Execution Of A Sentence Of Death)। चलिए इस बारे में आपको विस्तार से बताते है।

पहले खाली कॉलम में जेल का नंबर लिखा होता है, जिस जेल में फांसी दी जाएगी। दूसरे कॉलम में फांसी पर चढ़ने वाले सभी दोषियों के नाम लिखे जाते हैं। खाली कॉलम में केस का FIR नंबर केस नंबर लिखा जाता है। उसके बाद के कॉलम में जिस दिन ब्लैक वॉरंट जारी हो रहा है, वो तारीख पहले लिखी जाती है। उसके बाद के कॉलम में फांसी देने वाले दिन यानी मौत के दिन की तारीख लिखी जाती है और किस जगह फांसी दी जाएगी वो लिखा जाता है। जिसके बाद अगले खाली कॉलम में फांसी पर चढ़ने वाले दोषियों के नाम के साथ बकायदा यह आगे फॉर्म में साफ-साफ लिखा है कि जिस-जिस को फांसी दी जा रही है, उनके गले में फांसी का फंदा जब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मौत न हो जाए।

फांसी होने के बाद मौत से जुड़े सर्टिफिकेट और फांसी हो गई है ये लिखित में वापस कोर्ट को जानकारी दी जाए। सबसे नीचे समय दिन और ब्लैक वॉरंट जारी करने वाले जज के साइन होते हैं। उसके बाद ये डेथ वॉरंट जेल प्रशासन के पास पहुंचता है, फिर जेल सुप्रीटेंडेंट समय तय करता है। उसके बाद फांसी की जो प्रक्रिया जेल मैनुएल में तय होती है उस हिसाब से फांसी दी जाती है। तो ये है ब्लैक वॉरंट यानी डेथ वॉरंट जारी होने से फँसी तक की पूरी प्रकिर्या।

Nirbhaya Case Death Warrant

इससे पहले कभी जारी नहीं हुआ इस तरह का डेथ वॉरंट : बन जाएगी हिस्ट्री

पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से डेथ वॉरंट जारी किए जाने के बाद निर्भया की मां ने कहा कि मेरी बेटी को न्याय मिला। चारों दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने का फैसला महिलाओं को सशक्त बनाएगा और लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास बढ़ेगा। वहीं निर्भया के पिता  बद्रीनाथ सिंह ने कहा कि मैं कोर्ट के फैसले से खुश हूं। 22 जनवरी की सुबह 7 बजे दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा। इस फैसले से लोगों में ऐसे अपराध करने से पहले डर रहेगा।

22 जनवरी सुबह 7 बजे दी जाएगी फांसी :

Rapist Of Nirbhaya

साल 2012 के निर्भया गैंगरेप के दोषियों का पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को डेथ वॉरंट जारी कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि इन चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी। अगर राष्ट्रपति इन दोषियों की दया याचिका पर 14 दिनों में फैसला नहीं लेते तो भी फांसी की तारीख आगे खिसक सकती है। लेकिन राष्ट्रपति भी फैसला लेने के लिए कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय की सिफारिशों को देखते हैं, जो इन दोषियों के खिलाफ हैं। ऐसे में राष्ट्रपति की ओर से भी दया की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही।

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