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एमडीएच वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी अब नहीं रहे इस दुनिया में, 98 साल की उम्र में हुआ निधन

ये तो सब जानते है कि एमडीएच मसाले भारत देश में मसालों का सबसे बड़ा ब्रांड है और इस ब्रांड के साथ जो चेहरा नजर आता है, वह भी काफी प्रसिद्ध है। जी हां हम यहाँ एमडीएच मसालों के ब्रांड के चेयरमैन रह चुके धर्मपाल गुलाटी की बात कर रहे है, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। बता दे कि एमडीएच वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी ने करीब 98 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा है और उनके निधन से हर किसी को बेहद दुःख है। दरअसल गुलाटी जी ने दिल्ली के माता चानन देवी अस्पताल में अपनी आखिरी साँस ली थी, लेकिन इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले उन्होंने एमडीएच मसालों के ब्रांड को काफी ऊंचाई तक पहुंचा दिया था।

एमडीएच वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी

एमडीएच वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी का हुआ निधन :

गौरतलब है कि बीमार होने की वजह से वह काफी दिनों से अस्पताल में भर्ती थे और उनकी तबियत में भी कुछ खास सुधार नहीं हो पा रहा था। हालांकि डॉक्टर्स ने तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी, लेकिन ज्यादा उम्र और बीमारी के कारण डॉक्टर्स उन्हें बचा नहीं पाएं। जिसके चलते धर्मपाल गुलाटी जी हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए। यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि जब से सोशल मीडिया पर लोगों को उनके निधन की खबर मिली है, तब से हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है।

98 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा :

यहाँ तक कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी ट्वीट करके गुलाटी जी को श्रद्धांजलि दी है और कहा है कि भारत के सबसे प्रेरक एंटरप्रेन्योर, एमडीएच के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी जी का आज सुबह निधन हो गया है। वह ऐसे प्रेरक और जीवंत व्यक्ति से कभी नहीं मिले, भगवान् उनकी आत्मा को शांति दे। बता दे कि आज से करीब दो साल पहले भी ये खबर फैलाई गई थी कि उनका निधन हो गया है, लेकिन तब ये खबर सच नहीं थी। मगर इस बात उनके निधन की खबर की पुष्टि हो चुकी है। अब ये तो सब को मालूम ही है कि धर्मपाल गुलाटी जी सालों से मसालों के विज्ञापन में आ रहे थे, लेकिन अगर हम उनके परिवार की बात करे तो पाकिस्तान के सियालकोट में पैदा हुए धर्मपाल जी के पिता वही एक छोटी सी दुकान चलाते थे।

ऐसे हुई थी एमडीएच की शुरुआत :

एमडीएच वाले महाशय धर्मपाल गुलाटीहालांकि देश का बंटवारा होने के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया और दिल्ली आने के बाद धर्मपाल गुलाटी जी ने एक तांगा भी खरीदा था। जिससे वह सवारी ढोते थे, लेकिन जब उससे काम नहीं बना तो साल 1953 में चांदनी चौंक में एक दुकान ले ली। जिसका नाम महाशयां दी हट्टी रखा गया और तब से ये कंपनी एमडीएच के नाम से जानी जाती है। बहरहाल तब ये कंपनी भले ही इतनी प्रसिद्ध नहीं थी, लेकिन अब इस कंपनी के मसाले देश भर में निर्यात किए जाते है। यहाँ तक कि तीन साल पहले गुलाटी जी को एफएमसीजी कंपनी का सबसे ज्यादा वेतन पाने वाला सीईओ घोषित किया गया था। फ़िलहाल एमडीएच महाशय वाले धर्मपाल गुलाटी जी के इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद हम यही दुआ करते है कि भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।

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