टिक टॉक (TikTok) ऐप को मद्रास हाई कोर्ट से झटका लग सकता है। देश के बच्चों, युवाओं और बुजर्गों के बीच तेजी से मशहूर हो रहे टिक टॉक ऐप को मद्रास हाई कोर्ट ने बैन करने के निर्देश दिए हैं। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि ऐप पर आपत्तिजनक कंटेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार को इस ऐप पर बैन लगाना चाहिए.
इस पर टिक टॉक ने अपने बयान में कहा कि टिक टॉक लोकल कानून और नियमों को मानने के लिए प्रतिबद्ध है। वह आईटी रूल्स 2011 के नियमों का पालन कर रहा है। कंपनी ने कहा वह अभी कंपनी हाई कोर्ट के आधिकारिक ऑर्डर का इंतजार कर रही है। एक बार ऑर्डर मिल जाने पर कंपनी इसका रिव्यू करेगी और इस दिशा में सही कदम उठाएगी। ऐप में सुरक्षित और पॉजिटिव माहौल बनाना पहली प्राथमिकता है.
मद्रास हाईकोर्ट ने ऐप के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि जो बच्चे टिक टॉक का उपयोग कर रहे है, वे यौन शिकारियों के संपर्क में आसानी से आ सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक कंटेट के कारण टिक टॉक का इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है. टिक टॉक एक ऐसा सोशल मीडिया वीडियो एप्प है जिस पर कुछ सेकंड या मिनट के वीडियो क्लिप शेयर किये जाते हैं. एक साल के अंदर ही ये एप्प बहुत ज्यादा पोपुलर हुई हैं इसके दुनियाभर में करोड़ो यूजर हैं और भारत में भी इसे उसे करने वाले लाखो की तादाद में है.
बता दे की मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा की वह TIKTOK एप्प के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए. आपको बता दे की इंडोनेशिया और बांग्लादेश की सरकारें पहले ही टिकटोक पर प्रतिबंध लगा चुकी हैं.
अमेरिका में टिक टॉक ऐप को लेकर काफी आलोचना हुई है। बीते साल इंडोनेशिया की सरकार ने 1,70,00 लोगों के अपील पर हस्ताक्षर करने के बाद टिक टॉक को बैन कर दिया। इंडोनेशिया की सरकार ने कहा कि टिक टॉक बच्चों के लिए ठीक नहीं है। हालांकि, बाद में बैन हटा दिया गया जब टिक टॉक के अधिकारियों ने आपत्तिजनक कंटेंट हटाने का वादा किया.