यात्रा

तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो इन जगहों पर घूमना बिलकुल न भूलें

तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु जाते हैं। मंदिर में हमेशा आपको भीड़ देखने को मिलेंगी। दूर-दूर से लोग बालाजी के दर्शन का प्लान बनाते हैं। लेकिन कई लोग हैं जो दर्शन करने के बाद तुरंत घर लौट आते हैं। दरअसल, लोगों को आस-पास की फेमस जगहों के बारे में जानकारी नहीं होती है, जिसकी वजह से वह केवल मंदिर ही दर्शन करके लौट आते हैं। अगर आप दर्शन के लिए केवल 2 दिनों के लिए गए हैं, तो परेशान न हो। आज के इस आर्टिकल में हम आपको मंदिर के पास 100 से 150 किमी में स्थित फेमस जगहों और अन्य मंदिरों के बारे में जानकारी देंगे।

अगर आप तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए गए हैं, तो आप श्रीकालहस्ती मंदिर में दर्शन करने जरूर जाएं। दक्षिण भारत में भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर ऐतिहासिक माना जाता है। यह मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति शहर के पास स्थित है।

  • तिरुपति बालाजी से श्रीकालहस्ती मंदिर की दूरी- 37.2 किमी है। आप यहां 1 घंटे में पहुंच सकते हैं।
  • मंदिर सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है।

श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान :

 

अगर आप तिरुपति बालाजी मंदिर के बिल्कुल करीब किसी जगह घूमने जाना चाहते हैं, तो यहां जा सकते हैं। यह उद्यान लगभग 354 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यहां आप सफारी भी कर सकते हैं।

तिरुपति बालाजी से श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान की दूरी 8.0 किमी है। आप यहां 20 मिनट में पहुंच जाएंगे।

  • यह सुबह 08:30 ms शाम 05:30 बजे तक आम लोगों के लिए खुला रहता है।
  • एंट्री फीस- बच्चों के लिए 10 रुपये और वयस्क 50 रुपये।
  • सफ़ारी फीस- 30 रुपये बच्चों के लिए, वयस्क 50 रुपये।

तलाकोना झरना, तिरुपति :

 

इसे देश के सबसे ऊंचे झरनों में से एक माना जाता है। वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित इस झरने को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मंदिर से यहां पहुंचने में आपको 1:30 घंटे का समय लगेगा। आप चाहें, तो भारतीय रेल के आधिकारिक वेबसाइट से पैकेज टिकट बुक कर के भी यहां घूमने आ सकते हैं।

चंद्रगिरी, तिरुपति

यह मंदिर से आधे घंटे की दूरी पर स्थित है। यह 11 वीं सदी के चंद्रगिरि किले की वजह से फेमस है। यह 183 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। किले में आपको आठ मंदिर देखने को मिलेंगे। इसमें एक रानी महल भी है, जो अब खंडहर हो चुकी हैं।

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