
लता मंगेशकर ने कहा दुनिया को अलविदा, जानिए 13 साल की उम्र में एक्टिंग से लेकर गायिकी तक का सुरीला सफर, देखें उनकी कुछ चुनिंदा तस्वीरें
बता दे कि स्वर कोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर अब हम सब के बीच नहीं रही। जी हां लता मंगेशकर ने दुनिया को कहा अलविदा और उनके निधन पर हर कोई बेहद दुखी है। बहरहाल लता मंगेशकर काफी समय से बीमार चल रही थी और ऐसे में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। मगर अफसोस कि वह जिंदगी की लड़ाई जीत न सकी और दुनिया को अलविदा कह कर चली गई। ऐसे में हम उनके सुरीले सफर पर एक नज़र जरूर डालना चाहते है।

लता मंगेशकर ने दुनिया को कहा अलविदा :
गौरतलब है कि लता जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है और उन्होंने छत्तीस भाषाओं में पचास हजार से भी ज्यादा गीत गाए है। इसके इलावा लता मंगेशकर का ये मानना है कि अगर उनके पिता जिंदा होते तो शायद वो सिंगर न होती, क्योंकि उन्होंने कभी अपने पिता के सामने गाने की हिम्मत नहीं की थी। हालांकि इसके बाद अपने परिवार को संभालने के लिए उन्होंने इतने गाने गाए कि 1974 से लेकर 1991 तक उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होता रहा।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि लता जी ने 1938 में पहला क्लासिकल परफॉर्मेंस अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के साथ सोलापुर में दिया था और तब लता जी महज नौ साल की थी। आपको जान कर हैरानी होगी कि लता जी के पिता को लंबे समय तक ये पता ही नहीं था कि उनकी बेटी गाना भी गा सकती है और लता जी को उनके सामने गाने से भी डर लगता था। ऐसे में वह रसोई में मां के साथ काम करते हुए महिलाओं को कुछ गा कर सुनाया करती थी। जिसके चलते मां उन्हें डांटती थी कि लता के कारण ही उन महिलाओं का वक्त खराब होता है और उनका ध्यान बंटता है।

वैसे आपको बता दे कि लता जी का ये मानना था कि वह अपने पिता की वजह से ही सिंगर बन पाई थी, क्योंकि उनके पिता ने ही उन्हें संगीत सिखाया था। गौरतलब है कि लता जी ने अपनी बहन आशा के साथ मास्टर विनायक की पहली हिंदी फिल्म बड़ी मां में छोटा सा रोल निभाया था और आशा भोसले जी उनसे चार साल छोटी है। वही तेरह साल की उम्र में लता जी ने 1942 में पहिली मंगलागौर फिल्म में एक्टिंग की थी और कुछ फिल्मों में उन्होंने हीरोइन की बहन के किरदार भी निभाए थे।
लता मंगेशकर जी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें :
हालांकि उन्हें अभिनय में कभी उतना मजा नहीं आया, जितना संगीत में आता था। फिर 26 जनवरी 1963 को जब लता मंगेशकर ने लाल किले से ए मेरे वतन के लोगों गाया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की आंखों में भी आंसू आ गए थे। इस बारे में बात करते हुए लता जी ने खुद बताया था कि 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद प्रदीप जी ने ये गाना लिखा था और उन्होंने पहली बार गणतंत्र दिवस पर ये गाया था। बहरहाल गाना खत्म होने के बाद उन्होंने स्टेज से उतर कर कॉफी मंगाई और तब महबूब साहब भागते हुए उनके पास आएं और कहा कि लता कहां हो तुम, पंडित जी तुमसे मिलना चाहते है।
वहां इंदिरा जी और कई बड़े नेता भी मौजूद थे। ऐसे में महबूब साहब ने पंडित जी को मेरा परिचय दिया और तब नेहरू जी ने लता जी से कहा कि बेटी तुमने आज मुझे रुला दिया। बता दे कि एक बार अमेरिका में लता जी का एक कॉन्सर्ट था और तब अमिताभ बच्चन उनसे मिलने के लिए वहां गए थे। बहरहाल प्रोग्राम शुरू होने में थोड़ा वक्त था तो लता जी ने कहा कि आप मेरे अंगने में ऐसे गाने से शुरुआत कीजिए। उसके बाद आप मुझे स्टेज पर बुलाना और जब मैं स्टेज पर आउंगी तो आप मेरा परिचय देना। हालांकि अमिताभ बच्चन ने पहले ऐसा कभी किया नहीं था, तो वह काफी नर्वस थे, लेकिन लता जी ने कोई बात नहीं आज ये कर लीजिए।

इसके बाद बच्चन जी ने मेरे अंगने में गाया और फिर तो वह एक के बाद एक कई स्टेज शो करने लगे। गौरतलब है कि लता जी और नरेंद्र मोदी की बॉन्डिंग भी काफी अच्छी थी। जी हां वो ऐसे कि जब लता जी ने अपने पिता जी की याद में रुग्णालय बनवाया और जब अस्पताल में एक दो मंजिल और बढ़ाई गई तो नरेंद्र मोदी अस्पताल देखने के लिए पहुंचे थे। तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे और तब लता जी ने हंसते हुए कहा था कि वह सोचती थी कि आप जल्दी से देश के प्रधानमंत्री बन जाएं। वैसे उनकी यह बात सच भी हो गई और मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए।
राज कपूर और रफी साहब के साथ ऐसा था लता जी का रिश्ता :
बता दे कि लता जी ने राज कपूर जी की करीब हर फिल्म में गाना गाया है, लेकिन लता जी सिद्धांतों की काफी पक्की थी और इस वजह से उनके तथा राज कपूर जी के बीच अनबन भी हुई थी। हालांकि लता जी और राज कपूर के रिश्ते काफी पारिवारिक थे। आपको जान कर हैरानी होगी कि 1963 से 1967 तक लता जी ने रफी जी के साथ कोई गाना नहीं गाया था, लेकिन फिर बाद में रफी जी ने लता जी को पत्र लिख कर उनसे माफी मांगी थी और फिर दोनों ने ज्वेल थीफ फिल्म में एक साथ गाना गाया था।

दरअसल बात ये थी कि गायकों को गानों की रॉयल्टी न देने को लेकर लता जी काफी मुखर थी और रफी जी के इसके खिलाफ थे। इसलिए इन दोनों का रिश्ता भी काफी रोचक था। बता दे कि लता जी और मीना कुमारी काफी अच्छी सहेलियां थी और मीना कुमारी अक्सर लता जी से मिलने के लिए उनके रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंच जाती थी। वैसे भी लता जी की आवाज सबसे ज्यादा मीना कुमारी और नरगिस पर ही फिट बैठती थी। फिलहाल स्वर कोकिला लता मंगेशकर इस दुनिया को अलविदा कह कर जा चुकी है, तो हम प्रार्थना करते है कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।