क्या आप जानते हैं कि कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया आज तक कोई, अगर नहीं, तो जानिए इसके पीछे की वजह
अगर हम भारत देश की बात करे तो हमारा भारत देश कई खूबसूरत प्राकृतिक संसाधनों का देश है और यहां कई घाटियों से लेकर बहुत से खूबसूरत झरने, जंगल, समंदर और पहाड़ भी मौजूद है। यहां तक कि कुछ पहाड़ ऐसे भी है जो हिंदू धर्म में पूजनीय है और लोग इन्हें आस्था की नजर से देखते है। बहरहाल इन्हीं पहाड़ों में से एक कैलाश पर्वत है। मगर क्या आप जानते है कि आखिर आज तक कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया कोई और इसके पीछे की वजह क्या है। बता दे कि छह हजार छह सौ छप्पन मीटर की ऊंचाई वाले कैलाश पर्वत को लोगों से सिर्फ दूर से ही देखा है और माउंट एवरेस्ट से इसकी ऊंचाई दो हजार किलोमीटर से कम है। फिर भी इस पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया है, तो चलिए आपको इसकी वजह के बारे में विस्तार से बताते है।
कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया कोई :
गौरतलब है कि कुछ लोगों का ये मानना है कि इस पहाड़ पर कई कुदरती शक्तियां रहती है और इस तर्क को सुनने के बाद वैज्ञानिक भी खामोश रह जाते है। यहां तक कि इस पहाड़ पर चढ़ने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन फिर भी किसी को सफलता नहीं मिल सकी। जी हां कुछ लोगों का कहना है कि यहां मौसम की वजह से पैर भी नहीं रखा जा सकता और कुछ लोगों का कहना है कि यहां नेविगेशन बहुत मुश्किल है, क्योंकि यहां अक्सर दिशाभ्रम हो ही जाता है।
वही हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर है और वह अपने परिवार के साथ यहां रहते है। इसलिए यह जगह मोक्ष की प्राप्ति की जगह भी मानी जाती है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें यहां साक्षात भगवान शिव के दर्शन हुए है। बता दे कि रूस के एक पर्वतारोही सरगे सिस्टियाकोव ने बताया कि जब वह कैलाश पर्वत के एकदम करीब पहुंच गए तब उनका दिल तेजी से धड़कने लगा और वह उस पर्वत के एकदम सामने थे, जिस पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया।
कैलाश पर्वत से जुड़ी है कई मान्यताएं :
मगर इसके बाद अचानक उन्हें कमजोरी सी महसूस होने लगी और उन्हें लगा कि अब उन्हें यहां और नहीं रुकना चाहिए। फिर जैसे जैसे वह नीचे आते चले गए, उनका मन हल्का होने लगा। इस बारे में रूस के ऑप्थालमोलोजिस्ट अर्नेस्ट मुलादाशेव ने कहा था कि कैलाश पर्वत कोई प्राकृतिक ढांचा नहीं है, बल्कि एक पिरामिड है, जो कुदरती ताकतों से बना है। जी हां उनका कहना था कि कैलाश पर्वत सौ पिरामिडों से मिल कर बना है और कुछ लोग इस बात को सच मानते है क्योंकि इस तरह का ढांचा दुनिया में कही भी नहीं है। यानि यह पर्वत दुनिया के बाकी पर्वतों से अलग है।
बहरहाल पुराणों के अनुसार यह पर्वत सृष्टि का केन्द्र है और इसका हर मुख सोने, रूबी, क्रिस्टल और लैपिस लाजूली जैसी अनमोल धातुओं से बना है। इसके इलावा कुछ लोगों का कहना है कि कैलाश पर्वत पर बहुत रेडियोएक्टिव भी है और इसकी ढलान पैंसठ डिग्री से ज्यादा है। यही वजह है कि पर्वतारोही इस पर चढ़ने से कतराते है और कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश करीब अठारह साल पहले की गई थी, तब चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी। फिलहाल वर्तमान समय में कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, क्योंकि भारत और तिब्बत सहित दुनिया भर के लोगों का यह मानना है कि यह पर्वत एक पवित्र स्थान है और इसलिए इस पर किसी को चढ़ने नहीं देना चाहिए।
केवल एक शख्स चढ़ पाएं थे कैलाश पर्वत पर :
इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है कि ग्यारहवीं सदी में एक बौद्ध भिक्षु योगी मिलारेपा ने अभी तक माउंट कैलाश पर चढ़ाई की है और वह इस पवित्र तथा रहस्यमयी पर्वत पर जा कर जिंदा लौटने वाले दुनिया के पहले इंसान है। जी हां इसका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। मगर वर्तमान समय में कोई कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया, इसकी वास्तविक वजह अब तक कोई नहीं जान पाया है। दोस्तों इस बारे में आपकी क्या राय है, ये हमें जरूर बताइएगा।