गंगा के इन प्राचीन घाटों पर करें स्नान, होगी मोक्ष की प्राप्ति, खत्म होंगे पाप
हरिद्वार हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मुख्य रूप से देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों से लोग हरिद्वार में गंगा स्नान करने आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करने से सभी पाप खत्म होने के साथ मोक्ष मिलने की धार्मिक मान्यता है. साल भर यहां श्रद्धालु का आवागमन रहता है।
हरिद्वार के प्राचीन गंगा घाटों में कुशावर्त घाट का विशेष महत्व हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस घाट पर अपने पूर्वजों के पिंडदान, तर्पण आदि करने का विशेष महत्व हैं। इस घाट पर पिंडदान, तर्पण और उनके निमित्त अन्य क्रिया करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलने का धार्मिक कथाओं में वर्णन किया गया है।
राम घाट :
हरिद्वार में स्थित राम घाट प्राचीन बताया जाता है. इस घाट पर स्नान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस घाट का वर्णन धार्मिक ग्रंथो में भी किया गया हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में भगवान राम ने अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण आदि कार्य यही किया था।
दक्ष घाट :
भगवान भोलेनाथ की ससुराल कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पास दक्ष घाट है। इस घाट पर गंगा स्नान, पिंडदान और पितरों के निमित्त कार्य करने से विशेष लाभ होता है। इस घाट पर स्नान करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा होती है. इस घाट के जल से दक्षेश्वर महादेव का जलाभिषेक करना विशेष फलदाई बताया जाता है।
गणेश घाट :
प्राचीन गणेश घाट की पौराणिक मान्यता धार्मिक ग्रंथो में दर्ज है। कहा जाता है इस घाट पर भगवान गणेश की विशाल मूर्ति स्थित थी। धार्मिक कथाओं के अनुसार गणेश घाट पर गंगा स्नान करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस घाट पर दक्षिण मुखी बजरंगबली का मंदिर स्थित है। गणेश घाट शंकराचार्य चौक के पास राज्य अतिथि गृह के सामने है।
नीलेश्वर घाट :
हरिद्वार प्राचीन गंगा घाटों में नीलेश्वर घाट का विशेष महत्व है। नीलेश्वर घाट पर गंगा स्नान करने, पूजा पाठ करने और पितरों के निमित्त कार्य करने का विशेष महत्व हैं। नीलेश्वर घाट का वर्णन धार्मिक ग्रंथो में विशेष रूप से किया गया हैं। इस घाट के किनरें भगवान भोलेनाथ के बहुत से प्राचीन मंदिर स्थित है।
गौरी कुंड :
गौरी कुंड का वर्णन धार्मिक ग्रंथो में किया गया है। विल्व पर्वत पर स्थित विल्वकेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के पास माता गौरी की तपस्थली है जहां प्राचीन गौरी कुंड है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह कुंड माता गौरी ने अपने कड़े से बनाया था. इस कुंड में स्नान करने पर सभी चर्म रोग खत्म हो जाते हैं और जिनकी शादी ना हो रही हो उनकी शादी भी हो जाती है।
सती घाट :
हरिद्वार के प्रमुख प्राचीन गंगा घाटों में सती घाट का विशेष स्थान है। सती घाट हरिद्वार की उपनगरी कनखल में स्थित है। इस घाट की पौराणिक कथा का वर्णन कई धार्मिक ग्रंथो में किया गया हैं। मुख्य रूप से सतीघाट पर अस्थि प्रवाह की जाती है। इस घाट पर रोजाना हजारों की संख्या में लोग अपने सगे संबंधियों और प्रिय जनों की अस्थि प्रवाह करने आते हैं। यहां अस्थि प्रवाह करने का से मोक्ष की प्राप्ति होती है।