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इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में आधुनिकता और विज्ञान चाहे जितनी प्रगति क्यों न कर चुका हो लेकिन कुछ बातों का जवाब इसके पास भी नहीं। इस दुनिया में आज भी कुछ ऐसे अजूबे मौजूद हैं जो अपनी किसी खासियत की वजह से लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। ऐसी ही है बाबा अमरनाथ ‘बर्फानी’ के दुर्गम रास्ते में पड़ने वाली रहस्यमयी शिव खोड़ी गुफा। पुराणी धर्म ग्रंथियों के अनुशार कहा जाता है कि इसके अंदर जाने वाला कभी फिर लौटकर नहीं आता। यह रहस्यमयी गुफा हमारे देश के ऐसे अनगिनत स्थानों में से एक है जिसका रहस्य अब तक अनसुलझा है। जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित यह गुफा करीब 150 मीटर लंबी है। 2 हिस्सों में बंटी इस गुफा में एक तरफ भगवान शिव का प्राकृतिक शिवलिंग है।
इस शिवलिंग के ठीक ऊपर यानी गुफा की छत पर गाय के थनों जैसी आकृति बनी है, जिससे लगातार दूधिया रंग का तरल पदार्थ शिवलिंग पर गिरता रहता है। कुछ लोग इसे गोमाता का दूध कहते हैं तो कुछ गोमाता का आशीर्वाद। कहा यह जाता है की इस गुफा में आज भी भगवान शिव वास करते हैं।
चमत्कारी यह गुफा अमरनाथ यात्रा के मार्ग में आती है इसलिए यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लेकिन सबसे ख़ास है इस इस गुफा का दूसरा हिस्सा जिसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। कहा जाता है कि इस दूसरे हिस्से में जो भी गया फिर कभी वापस नहीं लौटा। यह गुफा पूरी तरह अंधकारमय है। इसकी चौड़ाई 1 मीटर बताई जाती है। कहते हैं कि इस गुफा का दूसरा सिरा सीधा बाबा अमरनाथ की गुफा में जाकर खुलता है।
एक प्राचीन किंवदंती के अनुसार, द्वापर युग तक भक्तजन इसी गुफा से होकर अमरनाथ जाते थे। लेकिन कलयुग के प्रारंभ के बाद जिस किसी ने भी इस गुफा में प्रवेश किया वह कभी लौटकर नहीं आया। इस कारण इस गुफा को बंद कर दिया गया है। लोग बताते हैं कि 5 साधुओं ने दिलेरी दिखाई और बंद गुफा की ओर गए लेकिन लौटकर नहीं आए। कहा जाता है उनकी भगवान से मुलाकात हुई और वो उन्हीं में विलीन हो गए।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमरनाथ की गुफा में नहीं किसी और गुफा में रहते हैं शिव! जी हां, अमरनाथ से पहले एक और शिव गुफा है, जिसमें भगवान शिव के सपरिवार विराजने की धार्मिक मान्यता है। कौन-सी है यह गुफा और क्या है इसका महत्व आइए, जानते हैं।
साक्षात शिव विराजमान हैं यहां
जम्मू कश्मीर राज्य के जम्मू से कुछ दूरी पर स्थित है रयासी जिला। इस जिले में भगवान शिव का घर कही जानेवाली शिव खोड़ी गुफा स्थित है। यह भगवान शिव के प्रमुख पूजनीय स्थलों में से एक है। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं और इस गुफा का दूसरा छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है।
गुफा की लंबाई
इस पवित्र गुफा शिव खोड़ी की लंबाई 150 मीटर बताई जाती है। इस गुफा के अंदर भगवान शिव शंकर का 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है। इस शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक तौर पर पवित्र जल की धारा सदैव गिरती रहती है। शिवलिंग के साथ ही इस गुफा में पिण्डियां विराजित हैं। इन पिण्डियों को शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और गणपति के रूप में पूजा जाता है।
स्वयं शिवजी ने बनाई यह गुफा
आस्था है कि पिण्डियों के रूप में गुफा में विराजित परिवार सहित शिव, दर्शन करने पर अपने भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। धार्मिक कथा है कि इस गुफा को स्वयं भगवान शंकर ने बनाया था। इस गुफा को बनाने का कारण भस्मासुर को सबक सिखाना था।
शिव को भस्म करने चला था राक्षस
प्राचीन कथा के अनुसार, भस्मासुर ने घोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। उसने शिवजी से वर मांगा कि वह जिस किसी के सिर पर भी हाथ रख दे, वह भस्म हो जाए। शिवजी ने जैसे ही उसे वरदान दिया, वह राक्षस शिवजी को भस्म करने के लिए दौड़ पड़ा।
छिपना पड़ा भगवान शिव को
भस्मासुर से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव ऐसी जगह की तलाश करने लगे जहां भस्मासुर उन्हें ढूंढ न पाए। तब शिवजी ने पहाड़ों के बीच एक गुफा बनाई और उसमें छिपे। खुद शिवजी ने ही जिस गुफा का निर्माण किया, वह शिव खोड़ी गुफा कहलाती है।
विष्णुजी ने निकाला शिवजी को बाहर
भगवान शिव को इस तरह गुफा में छिपा देखकर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धरा और भस्मासुर के रिझाने के लिए उसके समीप पहुंच गए। मोहिनी का रूप देखकर भस्मासुर सबकुछ भूल गया और प्रेमांध होकर मोहिनी के साथ नृत्य करने लगा। नृत्य के दौरान उसने खुद के ही सिर पर हाथ रख लिया और हाथ रखते ही भस्म हो गया। भस्मासुर के खुद को ही भस्म कर लेने के बाद भगावन शिव गुफा से बाहर आए।
दिखाई नहीं देता अंतिम छोर
शिवजी द्वारा निर्मित की गई इस गुफा का अंतिम छोर दिखाई नहीं देता है। मान्यता है कि जो कोई भी इस गुफा में स्थित शिवलिंग और पिण्डियों के दर्शन कर गुफा में आगे की तरफ बढ़ता है, वह कभी लौटकर नहीं आता। कहते हैं कि अंदर जाकर यह गुफा दो भागों में विभाजित हो जाती है, जिसका एक छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है और दूसरे के अंतिम छोर के बारे में जानकारी ही नहीं है। मान्यता है कि गुफा के अंदर स्वयं शिवजी साक्षात विराजित हैं।
शिव खोड़ी की गुफा में पहुंचने का रास्ता
शिव खोड़ी के इस गुफा में जाने के लिए आप जम्मू या कटरा दोनों जगहों से रूट ले सकते हैं। जम्मू से रणसू की दूरी करीब 140 किलोमीटर और कटरा से 80 किलोमीटर है। फिर रणसू से शिव खोड़ी गुफा जाने के लिए करीब 3 से 4 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। जिन लोगों को पैदल चलने में दिक्कत हो वे खच्चर ले सकते हैं।