श्राद्ध पक्ष में क्या नहीं खरीदना चाहिए, नाराज होंगे पितृ, झेलनी पड़ेगी परेशानी
पितृ पक्ष पर 15 दिनों तक पितरों को तर्पण दिया जाता है, जिसमें हम अपने उन पूर्वजों को याद करके उनका नमन करते हैं। जो इस संसार से देवलोक जा चुके है, पितरों की उनकी आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध करते हैं और उनके लिए पिंडदान व तर्पण करते हैं, इसके साथ ही पितृ पक्ष में दान का भी विशेष महत्व है, वही पितर (पितृपक्ष) में बहुत से लोग नए कपड़े या गहने, या अन्य समान खरीद लेते है, या शुभ कार्य के कई सारे सामान खरीदते है उन्हे नहीं खरीदना चाहिए। लेकिन ऐसा माना जाता है की पितृपक्ष में नई वस्तुओं को खरीदने से पितर नाराज होते हैं।
पितृपक्ष में कौन सी चीजें न खरीदें :
पितृपक्ष में नए जेवर या आभूषण भी नहीं खरीदने चाहिए क्योंकि श्राद्ध में खरीदा गया सोना-चांदी या अन्य किसी भी धातु से बना गहना लाभ के बजाय नुकसान पहुंचाता है और आपकी आर्थिक स्थिति पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
पितृपक्ष में नए कपड़े सिर्फ और सिर्फ तर्पण या फिर पितरों के निमित्त दान के लिए खरीदें जाते हैं। ऐसे में भूल से भी पितृपक्ष के दौरान नए कपड़े खुद के लिए खरीदकर न लाएं नहीं तो इससे पितृ नाराज हो सकते हैं और पितृ दोष लग सकता है।
अगर आप तामसिक चीजों का सेवन करते हैं जैसे कि मांस, लहसुन-प्याज, शराब, सिगरेट आदि तो पितृपक्ष के दौरान न करें। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में इन सब चीजों का सेवन करने से पितृ लोक में पितरों को कष्ट भुगतना पड़ता है।
नहीं खरीदना चाहिए नया सामान :
इस पितृ पक्ष में पैरवा से लाकर अमावस्या तक को अशुभ माना जाता है। इसमें सिर्फ श्राद्ध किया जाता है, इसलिए कोई भी शुभ कार्य के लिए समान नही खरीदते है। इस समय खासकर जमीन, सोना चांदी के गहने, नये कपड़े, आदि सामान जिसका उपयोग शुभ कार्यों में किया जाता है वो नही खरीदना चाहिए, जो भी खरीददारी कर रहे है उसे पितृ पक्ष के बाद लेना चाहिए.
पूर्वजों को याद करने के लिए 15 दिनों के लिए पितृ पक्ष बनाया गया है। इसमें पूर्वजों के लिए पंडित के द्वारा पूजा करवाते हैं और उनके नाम से महाराज को भोजन करवाया जाता हैं। इस पितर के समय अपने पूर्वज जो अब इस संसार में नहीं है उन्हे चावल, तिल जौ को तोरई का पत्ता या सफेद कपड़े में रख कर पानी दिया जाता है।