अध्यात्म

कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से धुल जाते हैं सारे पाप, जानिए इसका महत्व

कार्तिक पूर्णिमा पर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत ही अधिक महत्व है। यही कारण है कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, गोदावरी आदि पवित्र नदियों में बड़ा मेला लगता है। आरोग्य प्राप्ति और स्वास्थ्य रक्षा के लिए भी रोज स्नान करना बताया जाता है। फिर भी माघ, वैशाख और कार्तिक मास में गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास में स्नान के महत्व के पीछे एक धार्मिक मान्यता भी है।

कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान

कार्तिक मास में स्नान के महत्व :

1. माना जाता है भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया तो उनका निवास स्थान जल ही था। मत्स्य अर्थात मछली, भगवान विष्णु ने यह अवतार राक्षस हयग्रीव का वध करने के लिए लिया था। हयग्रीव ने चारों वेदों को चुराकर समुद्र की गहराई में छिपा दिया था जिसके कारण संसार का संतुलन बिगड़ने लगा था।

2. मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। बड़े यज्ञ करने से जो फल प्राप्त होते हैं वह कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से प्राप्त होता है। इसके साथ ही स्नान करने वाले को भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है जिससे जन्म जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।

3. कार्तिक स्नान का व्रत शरद पूर्णिमा से प्रारंभ कर कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को संपन्न किया जाता है। कुरुक्षेत्र, प्रयागराज, काशी, अयोध्या आदि तीर्थ स्थानों पर स्नान करने का महत्व और भी बढ़ जाता है। परम्परा के अनुसार इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान का भजन करते हुए व्रत किया जाता है और फिर शाम के समय देव मंदिरों, गलियों चौराहों, पीपल के वृक्षों और तुलसी के पौधे पर दीपक जलाया जाता है।

4. बहुत से लोग लंबे बांस पर लालटेन बांध कर किसी ऊंचे स्थान पर रखकर रोशनी करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए उदयातिथि को ही इसे करना चाहिए और इस बार स्नान दान की कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को होगी।

Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Indian News Room इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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