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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या का जितना महत्व होता है, उतना ही महत्व कार्तिक मास की पूर्णिमा का भी होता है। यही वजह है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा यानि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान किया जाता है, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है, इस बारे में काफी कम लोग ही जानते होंगे। बहरहाल इस साल तीस नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी और ऐसे में इस खास मौके पर न केवल गंगा स्नान करने का बल्कि दान देने का भी काफी खास महत्व होता है। वैसे ये बात काफी कम लोग जानते होंगे कि कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चन्द्रमा आकाश में उदित होता है, तब चन्द्रमा की छह कृतिकाओं की उपासना करने से भगवान् शिव प्रसन्न होते है।
इस वजह से कार्तिक पूर्णिमा पर किया जाता है गंगा स्नान :
यही वजह है कि इस दिन गंगा स्नान करने से साल भर में किये गए हर स्नान का फल प्राप्त हो जाता है। इसके इलावा धार्मिक पुराणों के अनुसार इस महीने की त्रयोदशी, चतुर्दशी तथा पूर्णिमा को बेहद पुष्करिणी माना जाता है। जी हां स्कन्द पुराण के अनुसार जो व्यक्ति कार्तिक मास में हर रोज स्नान करता है, वह व्यक्ति यदि इन तीन तिथियों में सूर्य उदय होने से पहले स्नान करे तो उसे पूर्ण फल की प्राप्ति जरूर होती है। वो इसलिए क्यूकि शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने की काफी महत्वता बताई गई है। यहाँ तक कि इस दिन गंगा स्नान के साथ साथ बाकी तीर्थ स्थानों की पवित्र नदियों में स्नान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। जिससे व्यक्ति के सभी पापों का अंत हो जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा से जुडी खास कथा :
गौरतलब है कि कार्तिक पूर्णिमा से जुडी एक कथा के अनुसार इस दिन त्रिपुरासुर नाम के दैत्य के आंतक की वजह से तीनों लोकों में हड़कंप मचा हुआ था और ऐसे में त्रिपुरासुर नाम के दैत्य ने स्वर्ग लोक पर भी अपना अधिकार कर लिया। बता दे कि त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तप किया था और उसके तप के कारण ही तीनों लोक जलने लगे थे। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिए और फिर त्रिपुरासुर ने उनसे वरदान माँगा कि देवता, स्त्री, पुरुष, जीव, जंतु, पक्षी और निशाचर कोई भी उसे मार न पाएं। इस वरदान को हासिल करने के बाद वह दैत्य अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा। ऐसे में जब सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से उस दैत्य को खत्म करने का रास्ता पूछा, तब ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं की मदद करते हुए उन्हें सही रास्ता बताया।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं ने मनाई थी दिवाली :
जिसके बाद सभी देवता भगवान् शिव के पास पहुंचे और उस दैत्य को मारने की वंदना करने लगे। फिर भगवान् शिव ने उस दैत्य को तीनों लोकों में ढूंढा और ठीक कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव जी ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर रूप में त्रिपुरासुर का अंत कर दिया। बस उसी दिन सभी देवताओं ने शिवलोक यानि काशी में जा कर दिवाली मनाई थी। अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो कार्तिक पूर्णिमा व्यक्ति को देवताओं की उस दिवाली में शामिल होने का मौका देती है, जिसके प्रकाश से व्यक्ति के अंदर छिपी बुरी शक्तियों का नाश होता है। तो इसी वजह से कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व होता है।