नासा को मिला लोहे का भंडार, अगर इसे बेच दिया जाएँ तो दूर हो जाएगी पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की गरीबी
बता दे कि नासा हर रोज किसी न किसी नयी खोज में लगा ही रहता है और उनकी ये कोशिशें कामयाब भी होती है। बहरहाल इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। दरअसल अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नायाब एस्टेरॉयड यानि छोटा तारा खोजा है। अब आप सोच रहे होंगे कि भला इस तारे में ऐसी क्या खास बात है। इसमें खास बात ये है कि यह तारा पूरी तरह से लोहे का बना हुआ है। यानि नासा को मिला लोहे का खजाना, जो हर किसी की गरीबी दूर कर सकता है। आपको जान कर हैरानी होगी कि इसमें इतना लोहा है कि अगर इस लोहे को पृथ्वी पर ला कर बेच दिया जाएँ तो हर किसी के हिस्से में करोड़ों रूपये आएंगे।
नासा को मिला लोहे का नायाब खजाना :
वही अगर हम इस नायाब तारे की बात करे तो नासा ने इसका नाम सोलह साइके रखा है। इसके साथ ही अगर हम इसकी कीमत की बात करे तो इस पूरे एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की कीमत करीब आठ हजार क्वाड्रिलियन पाउंड है। अगर हम साफ शब्दों में कहे तो आठ हजार के बाद पंद्रह जीरो का आंकड़ा इसकी कुल कीमत है। गौरतलब है कि इसकी कीमत को ध्यान में रखते हुए पृथ्वी पर मौजूद हर व्यक्ति के हिस्से में एक बिलियन पाउंड यानि नौ हजार छह सौ इक्कीस करोड़ रूपये आएंगे। फ़िलहाल तो नासा ने स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क से मदद मांगी है और कहा है कि वे इस एस्टेरॉयड पर मौजूद लोहे की जाँच करने के लिए अपने अंतरिक्षयान से मिशन शुरू कर दे।
16 साइके है इस एस्टेरॉयड का नाम :
इस नायाब तारे का व्यास दो सौ छब्बीस किलोमीटर है और यह हमारे सूरज के चारो तरफ पांच सालों में एक चक्कर पूरा करता है। हालांकि इसका वजन धरती के चन्द्रमा के वजन का केवल एक फीसदी ही है और यह मंगल तथा बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद है। वही इस बारे में नासा का कहना है कि इस एस्टेरॉयड को पृथ्वी के करीब लाने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। मगर इस पर जा कर लोहे की जाँच करने की योजना जरूर बनाई जा रही है।
यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि अगर स्पेस एक्स अपने अंतरिक्षयान से कोई रोबोटिक मिशन इस एस्टेरॉयड पर भेजता है तो उसे वहां जा कर उसका अध्ययन करके वापिस आने में करीब सात साल का समय निकल जाएगा। यानि जो नासा को मिला लोहे का खजाना है, वो अभी तो पृथ्वी के हाथ नहीं लग सकता, लेकिन इस एस्टेरॉयड की मदद से पृथ्वी का भविष्य जरूर संवर सकता है।