धर्म-कर्म

पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध के दिनों में जरूर करे ये खास उपाय, खुल जायेंगे आपके जीवन के सौभाग्य के द्वार

बता दे कि इस साल पितृपक्ष इक्कीस सितंबर को शुरू हो रहे है और इस बार पितृपक्ष सोलह दिनों तक चलेगा। जी हां हर साल पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और समर्पण का पर्व श्राद्ध पक्ष आश्विन मास कृष्ण की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है तथा यह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। बहरहाल इन दिनों पूर्वजों के सम्मान में भोज करवाया जाता है और तर्पण किया जाता है। इसके इलावा अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है तो आप पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए ये खास उपाय कर सकते है और अपने जीवन की अशांति को खत्म कर सकते है। गौरतलब है कि अगर आप जीवन में मृत्यु तुल्य कष्ट झेल रहे है तो इस बार पितृपक्ष में ये उपाय जरूर करे। तो चलिए अब आपको इन उपायों के बारे में विस्तार से बताते है।

पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए करे ये उपाय :

सबसे पहले तो हम आपको ये बताना चाहते है कि कुंडली में पितृदोष कैसे लगता है। दरअसल ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली के नवम भाग को पूर्वजों का स्थान माना गया है और नवग्रह में सूर्य पूर्वजों के प्रतीक माने जाते है। ऐसे में अगर कुंडली में सूर्य बुरे ग्रहों के साथ स्थित है या उस पर बुरे ग्रहों की दृष्टि है तो यह दोष लगता है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि पंचबली का कर्म श्राद्ध पक्ष में किया जाता है, यानि इस दौरान पांच जीवों को भोजन करवाया जाता है। जी हां पंचबली के दौरान श्राद्ध में गोबलि, श्वान बलि, देवादि बलि, काकबलि और पिपल्यादि कर्म किए जाते है।

बता दे कि जब तक पितृपक्ष चलते है तब तक हर रोज कौवों को खाना डालना चाहिए। वो इसलिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पूर्वज पितृपक्ष के दौरान कौवों के रूप में धरती पर आते है और यही वजह है कि रोज कौवों को खाना डालना चाहिए। इसके बाद ही ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। बता दे कि अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है तो अपने घर की दक्षिण दिशा में पूर्वजों की तस्वीर लगानी चाहिए और हर रोज उस पर माला चढ़ानी चाहिए। इसके साथ ही जब आप घर से किसी शुभ काम के लिए जाएं तो उनका आशीर्वाद जरूर ले। जी हां ऐसा करने से धीरे धीरे पितृदोष कम होता है और पितरों की कृपा भी आप पर बनी रहती है।

ऐसे मांगे पूर्वजों से माफी :

गौरतलब है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वजों के निधन की तिथि पर जरूरतमंद लोगों को और ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए तथा उन्हें सम्मान के साथ दान दक्षिणा दे कर विदा करना चाहिए। यहां इस बात का ध्यान जरूर रखे कि पूर्वजों की पसंद का भोज अपने हाथों से बनाएं। इसके साथ ही आप गरीबों को वस्त्र और अन्न का दान भी जरूर करे, क्योंकि इससे भी पितृदोष खत्म होता है। बता दे कि लाल किताब में भी पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए कुछ उपाय बताए गए है और इसके अनुसार आप को श्राद्ध पक्ष के दौरान हर रोज कौए, कुत्ते, चिड़िया और गाय को रोटी खिलानी चाहिए। जब कि सुबह और शाम के समय कपूर जलाना चाहिए और गुड़ में घी मिला कर उसको धूप देनी चाहिए। इससे भी पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है।

बता दे कि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पीपल और बरगद के पेड़ की हर रोज पूजा करे और श्राद्ध पक्ष के दौरान दोपहर के समय जल चढ़ाएं तथा फूल, अक्षत और काले तिल भी अर्पित करे। इसके साथ ही पितरों से अपनी गलती के लिए माफी भी मांगे और उनसे आशीर्वाद ले। इसके इलावा परिवार के हर सदस्य से दस दस रुपए के सिक्के ले और मंदिर में दान करे। अगर घर में कोई बुजुर्ग हो तो उनके साथ जा कर गुरुवार के दिन दान करे।

जरुर करे पिंडदान :

गौरतलब है कि पितृदोष होने पर पिंडदान करने से भी लाभ होता है। जी हां अंत्येष्टि कर्म के दौरान अगर कोई गलती हो जाएं तो पिंडदान करने से उसका निवारण हो जाता है। जब कि पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर घर में पूजा पाठ करवाएं और हर अमावस्या के दिन श्राद्धकर्म करवाएं तथा भोजन करवाएं। इसके साथ ही हर रोज गीता का पाठ करना चाहिए और गृहणी को स्नान करने के बाद भोजन बना कर गाय माता के लिए पहली रोटी निकाल कर उसमें गुड़ रख कर खिलाना चाहिए। बहरहाल अगर आप ये सब उपाय करेंगे तो यकीनन आपके पितृदोष दूर हो जाएंगे।

नोट : उपरोक्त विचार लेखक के है। हमारा उदेश्य किसी गलत चीज का प्रचार करना नही है और न ही इसकी प्रामाणिकता का दावा करते। यह केवल एक सयोंग मात्र हो सकता है।

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