देवउठनी एकादशी के दिन होता है तुलसी और शालीग्राम का विवाह, पूजन के समय जरूर रखें इन बातों का ध्यान
बता दे कि हिंदू मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की शुक्लपक्ष को देवउठनी एकादशी का त्यौहार मनाया जाता है और इस बार ये त्यौहार पंद्रह नवंबर को मनाया जाएगा। बहरहाल इसे देव प्रबोधिनी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है और इस दिन हर साल माता तुलसी तथा भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार का विवाह होता है। हालांकि देवउठनी एकादशी के दिन पूजा करने से खास फल मिलता है, इसलिए ये पूजन करते समय कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
देवउठनी एकादशी के दिन होता तुलसी जी और शालीग्राम का विवाह :
गौरतलब है कि हिंदू धर्म में कार्तिक के महीने का बहुत खास महत्त्व होता है और इस महीने किए गए पूजा पाठ से मन को बहुत शांति मिलती है। इसके इलावा इसी महीने शुक्लपक्ष को देवउठनी एकादशी भी मनाई जाती है, जिसे तुलसी विवाह का दिन भी माना जाता है।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि चतुर्मास की शुरुआत होने पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते है और तब दुनिया भर का कार्यभार भगवान शिव के कंधों पर आ जाता है। जी हां फिर भगवान विष्णु कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर ही चार महीने के बाद जागते है। इसलिए इस दिन शुभ और मांगलिक कार्य किए जाते है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस साल तुलसी विवाह पंद्रह नवंबर को होगा और द्वादशी तिथि सोमवार सुबह छह बज कर उनतालीस मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन सोलह नवंबर मंगलवार को सुबह आठ बज कर एक मिनट पर समाप्त होगा। बहरहाल एकादशी तिथि समापन पंद्रह नवंबर को सुबह शुरू होगा और फिर द्वादशी आरंभ होगी। ऐसे में तुलसी पूजा के दौरान आपको इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पूजन के समय ध्यान रखें ये खास बातें :
बता दे कि इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और तुलसी जी का विवाह किया जाता है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन हर सुहागिन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर करना चाहिए।
बता दे कि सच्चे मन से ये पूजा करने पर अखंड सौभाग्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके इलावा तुलसी पूजा के समय मां तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी जरूर अर्पित करनी चाहिए।
बता दे कि इस दिन तुलसी चबूतरे पर तुलसी पौधे के साथ साथ शालिग्राम भी जरूर रखे और तिल चढ़ाएं। इसके साथ ही तुलसी और शालीग्राम का दूध में हल्दी मिला कर उससे तिलक जरूर करे।
इस दिन शालीग्राम अवतार में नजर आते है भगवान विष्णु :
बता दे कि ग्यारह बार तुलसी जी की परिक्रमा जरूर करे और इस दिन प्रसाद का भोग तो जरूर लगाएं तथा लोगों में वितरण करे, यानि लोगों में बांटे।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि तुलसी पूजा के समापन के बाद शाम को भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करे और पूजा संपन्न करे। बहरहाल देवउठनी एकादशी के दिन ये सब कार्य जरूर करे और शुभ फल पाएं। दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आई होगी।