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करवा चौथ पर जब छलनी से चाँद देखें तो मन ही मन बोल दे ये मन्त्र, आपके पति को मिलेगी लंबी उम्र के साथ यश कीर्ति
बता दे कि करवा चौथ का त्यौहार हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है और इस साल ये त्यौहार रविवार यानि चौबीस अक्टूबर को मनाया जा रहा है। अब ये तो सब को मालूम ही है कि इस दिन सभी सुहागनें और कुंवारी लड़कियां करवा चौथ का व्रत रखती है तथा चांद को देख कर अपना व्रत पूरा करती है। बहरहाल इस बार करवा चौथ पर जब छलनी से आप चांद को देखेंगे तो इस मंत्र को बोलना बिल्कुल मत भूलना, क्योंकि जो मंत्र हम आपको बताने वाले है उससे आपके पति के मान सम्मान और आयु दोनों में वृद्धि होगी।
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करवा चौथ पर जब छलनी से चांद देखे तो जपे ये मंत्र :
गौरतलब है कि करवा चौथ को लेकर पंडित शक्ति मिश्रा जी ने बताया एक बार देवताओं और दानवों के बीच युद्ध शुरू हो गया था तथा इस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी। जिसके बाद सभी देवता ब्रह्मदेव के पास गए और उनसे रक्षा की विनती करने लगे। ऐसे में ब्रह्मदेव ने कहा कि इस मुसीबत से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने अपने पति के लिए व्रत रखना चाहिए। इसके साथ ही सच्चे मन से उनकी जीत के लिए प्रार्थना भी करनी चाहिए। जी हां ब्रह्मदेव ने वचन दिया कि इससे युद्ध में देवताओं की जीत जरूर होगी।
बहरहाल इस सुझाव को सभी देवताओं की पत्नियों ने राजी खुशी स्वीकार कर लिया और ब्रह्मदेव के कहने के मुताबिक कार्तिक माह की चतुर्थी को व्रत रखा। बता दे कि सभी देवताओं की पत्नियों की प्रार्थना स्वीकार हो गई और उनके पति युद्ध में जीत गए। जिसके बाद सभी देवताओं की पत्नियों ने अपना व्रत पूरा करके खाना खा लिया। यहां गौर करने वाली बात ये है कि तब आकाश ने चांद भी निकल आया था और ऐसा माना जाता है कि तभी से करवाचौथ के व्रत की परंपरा शुरू हुई थी।
करवा चौथ पर प्रचलित है ये कथाएं :
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बता दे कि पंडित शक्ति मिश्रा द्वारा कही एक और कथा में वामन पुराण के अनुसार महादेव ने पार्वती जी को करवा चौथ का महत्व बताते हुए सती करवा की कथा सुनाई थी। जिसके अनुसार सती करवा ने अपने सतीत्व बल की शक्ति से मगर रूपी काल के मुख से अपने पति की जान की रक्षा की थी और सरपत के सात सिंक के सहारे चित्रगुप्त के धर्म कर्म के बहिखाते के पन्ने पलट दिए। जी हां उसके पति की अंतिम घड़ी आ चुकी थी, लेकिन फिर भी सती ने अपनी पत्निव्रता की शक्ति से अपने पति के प्राण बचा लिए और तभी से सब सुहागनें करवा माता से अपने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए वरदान मांगने लगी।
गौरतलब है कि करवा चौथ मनाने के पीछे एक मुख्य कथा सावित्री और सत्यवान की भी है। वो ऐसे कि महाभारत के वन पर्व में मार्कण्डेय ऋषि और युधिष्ठिर के बीच हुए संवाद के दौरान यह कथा दिलचस्प तरीके से बताई गई थी। इस कथा के अनुसार बहुत ही कम उम्र में सत्यवान की आत्मा को ले जाने के लिए यमराज आए थे तब पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति की प्राणों की भीख मांगी थी और अपने सुहाग को न ले जाने की विनती की थी। पर जब यमराज ने उनकी बात नहीं मानी तो सावित्री ने अन्न और जल का त्याग कर दिया और अपने पति के शरीर के पास बैठ कर रोने लगी।
इस तरह सावित्री ने यमराज से बचाएं थे अपने पति के प्राण :
ऐसे में सावित्री का विलाप सुन कर यमराज विचलित हो गए और उन्होंने कहा कि अपने पति की जान के इलावा वह कोई और वरदान मांगे तो सावित्री ने यमराज से कहा कि उसके नेत्रहीन सास ससुर अपने नाती पोतों को सोने चांदी के बर्तनों में खाना खाते हुए देखे और फिर यमराज ने यह वरदान दे दिया। इसके बाद यमराज जब सत्यवान को लेकर जाने लगे तो सावित्री ने कहा कि आप मुझे कई संतानों की मां बनने का वरदान दे चुके है, जो किसी भी पतिव्रता स्त्री के लिए अपने पति के बिना संभव नहीं है।
जिसके चलते यमराज को सत्यवान के प्राण वापिस लौटाने पड़े और इस तरह से सावित्री ने न केवल अपने पति की जान बचाई बल्कि सास ससुर की दृष्टि और सुख समृद्धि भी मांग ली। ऐसा कहा जाता है कि तभी से सब स्त्रियां अन्न जल का त्याग करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती है। अब अगर हम करवा चौथ के उस मंत्र की बात करे जिसका आपको एक सौ आठ बार जप करना है तो वह कुछ इस प्रकार है।
करवा चौथ पर इन मंत्रों का जप करना ना भूले :
ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का
ॐ नमः शिवाय से शिव का
ॐ षण्मुखाय नमः से स्वामी कार्तिकेय का
ॐ गणेशाय नमः से गणेश का
ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करें।
बहरहाल करवा चौथ पर जब छलनी से चांद देखे तो इन मंत्रों को बोलना न भूले।