HOLI 2020 : 9 मार्च को है होलिका दहन, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और होलिका दहन का महत्व
Holi 2020 : सभी त्यौहार अपने आप में एक अलग रंग समेटे हुए हैं। अगर हम हिंदू धर्म के त्योहारों की बात करें तो इसमें होली एक बहुत ही प्रमुख त्योहार माना जाता है। जिसमें हिंदू धर्म के मानने वाले लोग अपने सारे रंग-रूप और भिन्नता मिटाकर सब एक दूसरे को भाईचारे का संदेश देते हैं। होली भी हिंदुओं के धार्मिक रूप का प्रतीक माना जाता है। लोगों का मानना है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हिरण्यकश्यप ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र पहलाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बिठा कर उसे जिंदा जलाना चाहा, लेकिन भगवान ने अपने भक्त को जरा सी भी ठेस नहीं पहुंचने दी और सकुशल उसको बचा लिया था। जबकि होलिका को यह वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए इसी दिन होलिका दहन की परंपरा को हिंदू बखूबी निभाते हैं।
बुराई पर अच्छाई का प्रतीक यह त्यौहार सभी त्योहारों में सबसे रंगीन त्यौहार है।आपको बता दें कि होलिका दहन की तैयारियां काफी दिन पहले ही शुरू हो जाती है और होली से 21 दिन पहले गांव में होलिका की नीव रखी जाती है। होली वाले दिन एक बडी ही विशाल होलिका तैयार किए जाती है। उसको तैयार करने में उपले या लकड़ी इन सब चीजों का प्रयोग किया जाता है। फागुन मास की पूर्णिमा की संध्या को होलिका दहन किया जाता है। यह त्यौहार हमें बुराइयों को अग्नि में जलाने की संदेश देती है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त : Holika Dahan 2020
होलिका दहन की तिथि : 9 मार्च 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 9 मार्च 2020 को सुबह 3 बजकर 3 मिनट से..
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 9 मार्च 2020 को रात 11 बजकर 17 मिनट तक।
होलिका दहन मुहूर्त : शाम 6 बजकर 26 मिनट से रात 8 बजकर 52 मिनट तक।
होलिका दहन की पूजा सामग्री :
जब भी आप होलिका दहन में जाएं तो अपने साथ एक लोटा जल, गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा जरूर लेकर जाएं। बच्चे अपने साथ माला रोली पुष्प, फल और नारियल लेकर जाएं। विवाहित महिला इस दिन व्रत रखती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। सभी महिलाएं इस दिन इकट्ठा होकर होलिका की पूजा करने के लिए अपने बच्चों को साथ लेकर होलिका पर जाती हैं।
जानिए होलिका दहन की पूजा विधि : Holi 2020
होलिका दहन के समय शुभ मुहूर्त पर सभी पूजा सामग्री को अपने साथ रखें। जब भी होलिका पर जाए तो उसके चारों तरफ परिक्रमा करते हुए सूत के धागे को उसके चारों तरफ लपेट दें। आप यह परिक्रमा 5 से 7 बार करें। अब पूजा सामग्री होलिका में अर्पित करें और अपने घर के सभी सदस्यों को तिलक लगाएं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि होलिका दहन के बाद जली हुई राख को घर लाना शुभ माना जाता है।
होलिका दहन की कथा : Holika Dahan Story
आपको बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार काफी साल पहले धरती पर एक हिरण्यकश्यप नाम का राजा रहता था। उसने प्रजा कोई आदेश दे दिया था कि कोई भी ईश्वर की भक्ति नहीं करेगा बल्कि उसको ही भगवान मानेगा और सभी उसकी पूजा करेंगे। लेकिन उसी का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था। उसने अपने पिता की आज्ञा को नहीं माना और ईश्वर भक्ति जारी रखी। उसने अपने बाप को भगवान मानने से इंकार कर दिया। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने क्रोधित होकर अपने पुत्र को दंड देने की ठान ली।
हिरण्यकश्यप की एक बहन होलिका थी जिसको यह वरदान प्राप्त था कि आग में नहीं जलेगी। उसने अपनी बहन को आदेश दिया कि वह अपने भतीजे प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ जाए जिससे वह जलकर भस्म हो जाए। लेकिन भगवान का चमत्कार तो देखिए जब वह प्रह्लाद को अग्नि में लेकर आग में बैठी तो स्वयं जलकर भस्म हो गयी जबकि प्रह्लाद सकुशल बच गया। तभी से बुराइयों को जलाने के लिए होलिका दहन किया जाने लगा।
यह भी पढ़े : होलिका दहन में करे ये 4 काम, आएगा इतना पैसा संभाल नही पायेगे आप