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26/11 हमले के 13 साल पूरे, जाने क्या हुआ था उसदिन, शुरू से लेकर आखिर तक की सारी कहानी, रतन टाटा ने ऐसे की थी सबकी मदद

ये तो सब जानते है कि कई साल पहले मुंबई में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी और कई लोग जख्मी भी हुए थे। वही मुंबई में हुए इस भयानक हमले के 13 साल पूरे हो चुके है, तो ऐसे में हम आपको इस हमले से जुड़ी हर चीज के बारे में विस्तार से बताना चाहते है। जी हां अगर खबरों की माने तो ये बड़ा आतंकी हमला पकिस्तान द्वारा करवाया गया था, जिसमें पाकिस्तान से आएं कई आतंकियों ने एक सौ साठ से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। तो चलिए अब आपको उस खौफनाक रात के बारे में विस्तार से बताते है।

मुंबई में हुए भयानक हमले को 13 साल हुए पूरे :

गौरतलब है कि पाकिस्तान से आएं कसाब सहित दस आतंकियों ने सबसे पहले कैफे लियोपोल्ड में हमला किया और फिर ताजमहल होटल, ओबरॉय टाईटेंड होटल, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस तथा छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला किया था। बता दे कि इस हमले की साजिश मुख्य रूप से पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा ने की थी और इस हमले को बेहद आधुनिक हथियार तथा ग्रेनेड से अंजाम दिया गया था।

पाकिस्तान आतंकियों ने दिया था इस हमले को अंजाम :

यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस हमले में मौजूद दस में से एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था तथा कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी। बहरहाल यहां गर्व करने की बात ये है कि इस आतंकी हमले को नाकाम करने के लिए 17 से ज्यादा पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने बलिदान दे दिया था। जिनमें ज्वाइंट कमिश्नर हेमंत करकरे, एडिशनल पुलिस कमिश्नर अशोक कामटे, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जैसे कई बड़े अधिकारी शहीद हुए थे।

इस हमले में कई लोगों ने गंवा दी थी अपनी जान :

यहां तक कि इस हमले में कई सेलिब्रिटी के रिश्तेदार भी मारे गए थे, जिनमें आशीष चौधरी की बहन का नाम भी शामिल है। जी हां शायद यही वजह है कि इस हमले ने पूरे मुंबई शहर और बॉलीवुड को हिला कर रख दिया था। अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो मुंबई में हुए इस भयानक हमले को भुलाना हर किसी के लिए बेहद मुश्किल थी।

रतन टाटा ने की थी सभी की मदद :

दरअसल मुम्बई स्थित ताज होटल पर 26/11 को हमला हुआ। इस दौरान तीन दिनों तक घमासान युद्ध हुआ, इसमें जहां होटल के बाहर हमारे एनएसजी और पुलिस के जवानों ने बहादुरी दिखाई, वहीं भीतर होटल के कर्मचारियों ने असाधारण धैर्य और बहादुरी का प्रदर्शन किया। इसके बाद 30 नवम्बर को ताज होटल तात्कालिक रूप से अस्थाई बन्द किया गया।

रतन टाटा ने क्या-क्या किया :

  • होटल में जितने भी कर्मचारी मारे गये या घायल हुए, सभी का पूरा इलाज टाटा ने करवाया।
  • जब तक होटल बन्द रहा, सभी कर्मचारियों का वेतन मनीऑर्डर से उनसे घर पहुंचाने की व्यवस्था की गई।
  • 80 से अधिक मृत या गम्भीर रूप से घायल कर्मचारियों के यहां खुद रतन टाटा ने अपनी व्यक्तिगत उपस्थिति दर्ज करवाई, जिसे देखकर परिवार वाले भी भौंचक थे।
  • प्रत्येक घायल कर्मचारी की देखरेख के लिए हरेक को एक-एक उच्च अधिकारी का फोन नम्बर और उपलब्धता दी गई थी, जो कि उसकी किसी भी मदद के लिए किसी भी समय तैयार रहता था।
  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की तरफ से एक मनोचिकित्सक ने सभी घायलों के परिवारों से सत्त सम्पर्क बनाये रखा और उनका मनोबल बनाये रखा।
  • घायल कर्मचारियों के सभी प्रमुख रिश्तेदारों को बाहर से लाने की व्यवस्था की गई और सभी को होटल प्रेसिडेण्ट में तब तक ठहराया गया, जब तक कि सम्बन्धित कर्मचारी खतरे से बाहर नहीं हो गया।
  • सभी 46 मृत कर्मचारियों के बच्चों को टाटा के संस्थानों में आजीवन मुफ्त शिक्षा की जिम्मेदारी भी उठाई है।

जानकारी के अनुसार जब 26/11 हमले के प्रभावितों को इतनी मदद दी जा रही थी तब एक मीटिंग में एचआर मैनेजरों ने इस बाबत झिझकते हुए कुछ सवाल भी किए थे, लेकिन रतन टाटा का जवाब था, “क्या हम अपने इन कर्मचारियों के लिए ज्यादा कर रहे हैं?, अरे जब हम ताज होटल को दोबारा बनाने-सजाने-संवारने में करोड़ों रुपये लगा रहे हैं तो हमें उन कर्मचारियों को भी बराबरी और सम्मान से उनका हिस्सा देना चाहिए, जिन्होंने या तो अपनी जान दे दी या “ताज” के मेहमानों और ग्राहकों को सर्वोपरि माना। वहीं रतन टाटा कहते हैं “वी नेवर काम्प्रोमाइज ऑन ऐथिक्स”

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