बाजरे की रोटी का सेवन इन लोगों को नहीं करना चाहिए, जानिए एक्सपर्ट्स की सलाह
सर्दियों के मौसम में शरीर को ज्यादा एनर्जी और पोषण की जरूरत होती है, जिससे शरीर का तापमान संतुलित रहे और रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी मजबूत बनी रहे। इस मौसम में लोग अपनी थाली में पारंपरिक और स्थानीय अनाजों से बनी रोटियों को शामिल करना पसंद करते हैं, क्योंकि ये न सिर्फ स्वादिष्ट होती हैं बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होती हैं। बाजरा, मक्का, ज्वार और रागी जैसे अनाज सर्दियों में बेहद लोकप्रिय हैं, जो गर्माहट देने के साथ-साथ शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं। इन अनाजों की तासीर गर्म होती है और ये शरीर को अंदर से गर्म रखने में मदद करते हैं। सर्दियों में खासतौर पर बाजरे की रोटी का सेवन बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह फाइबर, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होती है।
बाजरे की रोटी किन लोगों को नहीं खानी चाहिए
पाचन समस्या :
आयुर्वेद के अनुसार, जिन लोगों को पेट की समस्याएं जैसे इनडाइजेशन, गैस, बदहजमी या कब्ज की शिकायत रहती है, उन्हें बाजरे की रोटी से बचना चाहिए। यह पचने में भारी होता है और इसके सेवन से पेट में भारीपन, अपच और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस प्रकार के लोग बाजरे की रोटी के स्थान पर हल्के अनाज जैसे गेंहू, मक्का या चना आटा का सेवन कर सकते हैं, जो पाचन को सरल बनाते हैं।
अग्नि कमजोर होने पर :
आयुर्वेद में ‘अग्नि’ का एल अलग स्थान है और इसे पाचन की शक्ति माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की अग्नि कमजोर है, तो उसे बाजरे की रोटी से परहेज करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह भारी और तासीर में गर्म होता है। कमजोर अग्नि वाले लोग इसे पचाने में असमर्थ हो सकते हैं, जिससे पेट की समस्याएं और अन्य पाचन संबंधित विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी :
गर्भवती महिलाओं को भी बाजरे की रोटी के सेवन से परहेज करना चाहिए, इसमें अधिक गर्म तासीर होती है, जो गर्भ में शिशु के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। गर्भवती महिलाओं को हल्का और सुपाच्य आहार जैसे खिचड़ी या दलिया का सेवन करना चाहिए, जो शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान करता है और पाचन में कोई रुकावट नहीं डालता।
बाजरे की रोटी पोषक तत्वों से भरपूर होती है, लेकिन इसका सेवन सभी के लिए नहीं होता। आयुर्वेद के अनुसार, जिनकी पाचन शक्ति कमजोर हो या जिनकी अग्नि कमजोर हो, उन्हें बाजरे की रोटी से बचना चाहिए। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी इसे सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। हमेशा ध्यान रखें कि आयुर्वेद में भोजन शरीर की प्रकृति और स्वास्थ्य की स्थिति पर आधारित होता है।