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National Education Policy 2020 : नई शिक्षा नीति क्या है, जानिए स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सरकार के बड़े बदलाव

National Education Policy 2020 : आपको बता दें की 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है। इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी। 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे यानि अब देश की श‍िक्षा नीति में 34 साल बाद नये बदलाव किए गए हैं। इस नई श‍िक्षा नीति को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं, रिपोर्ट कार्ड, यूजी एडमिशन के तरीके, एमफिल तक बहुत कुछ बदला है, तो चलिए आज हम आपको इस बारें में विस्तार से जानकारी देतें है।

National Education Policy 2020

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ किसी लाइफ स्‍क‍िल से सीधा जोड़ना है।

आपको बता दें की अभी तक आप आर्ट, म्यूजिक, क्राफ्ट, स्पोर्ट्स, योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम (Co Curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम (Extra Curricular) एक्ट‍िविटी के तौर पर पढ़ते आए हैं। अब ये मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे, इन्हें एक्स्ट्रा करिकुलर एक्ट‍िविटी नहीं कहा जाएगा।

जैसा की आप जानते है की किसी घरेलू कारणवश, बीमारी या शादी की वजह से पढ़ाई बीच में छूठ जाती थी तो उसका कोई ऑप्शन नहीं था। लेकिन अब ये व्यवस्था है कि अगर किसी कारण से पढ़ाई बीच सेमेस्टर में छूट जाती है तो इसे मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के तहत आपको लाभ मिलेगा। मतलब अगर आपने एक साल पढ़ाई की है तो सर्टिफिकेट, दो साल की है तो डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री दी जाएगी।

National Education Policy 2020

National Education Policy

इस नई नीति के तहत अब जीडीपी का कुल 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होगा। फिलहाल भारत की जीडीपी का 4.43% हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है जोकि एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

अब सरकार का यह लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होनी चहिये ताकि वह जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, तो वो आसानी से कर सके।

अब सरकार ने एमफिल को पूरी तरह खत्म करने की बात कही है। रिसर्च में जाने वालों के लिए भी अब नई व्यवस्था की गई है। उनके लिए 4 साल के डिग्री प्रोग्राम का विकल्प दिया जाएगा। यानी तीन साल डिग्री के साथ एक साल एमए करके सीधे पीएचडी में जा सकते हैं।

अब मिलेगा अपने पसंदीदा सब्जेक्ट चुनने का अधिकार। अगर आप इंजीनियरिंग कर रहे हैं और आपको म्यूजिक का भी शौक है तो आप उस विषय को भी साथ में पढ़ सकते हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं होता था।

प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में भी कुछ बदलाब किया गया है। ऐसे भाषा शिक्षकों की उपलब्धता को महत्व दिया गया है जो बच्चों के घर की भाषा समझते हों। पहली से पांचवीं तक जहां तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में किया जाए। हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा।

शिक्षकों के सपोर्ट के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की बात भी नई शिक्षा नीति में शामिल है। इसके लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है। कोर्स में दाखिला लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक खास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं।

National Education Policy 2020

School Student

स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है।

छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा म्यूजिक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।

नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये आजादी भी होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे की प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा। निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

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