जानिए आखिर क्या होती है सीआरपीसी की धारा 144, यह कब लागू की जाती है
Dhara 144 : आज कल कोरोना वायरस के चलते सरकार द्वारा धारा 144 लागू की जा रही है। मगर क्या आप जानते है कि आखिर यह धारा 144 क्या है और इसे कब लागू किया जाता है। अब यूँ तो आपने इस धारा के बारे में कई बार सुना और पढ़ा होगा, लेकिन फिर भी इससे जुडी बहुत सी बातें आप नहीं जानते होंगे। जी हां हम आपको इसी धारा से जुडी कुछ खास बातों से वाकिफ करवाना चाहते है।
तो यहाँ जानिए आखिर क्या होती है सीआरपीसी की धारा 144 और इसे कब लागू किया जाता है। दरअसल जब भारत में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की संभावना होती है, तब सरकार द्वारा एक निश्चित क्षेत्र में सीआरपीसी की धारा एक सौ चौतालीस लागू कर दी जाती है। वो इसलिए ताकि जिस क्षेत्र में यह धारा लागू की जाएँ वहां शान्ति की व्यवस्था बनी रहे और वहां के हालात खराब न हो।
क्या है सीआरपीसी की धारा 144 : Dhara 144 In Hindi
अब ये तो सब को मालूम ही है कि कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित किया गया है। जिसके कारण सरकार ने हाल ही इस धारा का इस्तेमाल किया है और इसे कई राज्यों में लागू किया गया है। बता दे कि जब किसी शहर में किसी घटना के कारण हालात ज्यादा बिगड़ने लगे, तब यह धारा लागू कर दी जाती है, ताकि वहां तनाव ज्यादा न बढ़ सके। इसके इलावा अगर हम सीआरपीसी की बात करे तो यह दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम है। जी हां यह कानून साल 1973 में पारित किया गया था और फिर यह एक अप्रैल 1974 को लागू किया गया था।
यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि जब कोई घटना होती है, तब दो प्रक्रियाएं देखने को मिलती है। इनमें से एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में तो दूसरी प्रक्रिया अपराधी के संबंध में होती है। गौरतलब है कि इन दोनों प्रक्रियाओं का लेखा जोखा सीआरपीसी में दिया गया है। इसके साथ ही हम आपको बता दे कि कुछ खास परिस्थितियों जैसे कि दंगा, लूटमार, हिंसा और मारपीट को रोक कर शांति की स्थिति बनाएं रखने के लिए यह धारा लागू की जाती है। बहरहाल धारा 144 के तहत पुलिस द्वारा किसी भी एक जगह पर पांच से ज्यादा लोगों को एकत्रित होने की अनुमति नहीं दी जाती। ऐसे में जो व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है, उस पर पुलिस द्वारा कार्रवाई की जाती है।
किन परिस्थितियों में लागू की जाती है Dhara 144 :
जो लोग इस धारा के बारे में नहीं जानते, उनकी जानकारी के लिए हम बता देना चाहते है कि इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानि जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। इसके बाद जिस क्षेत्र में इस धारा को लागू करने की जरूरत पड़ती है, वहां इसे लागू कर दिया जाता है, ताकि कानून और पुलिस को आपराधिक गतिविधियां रोकने में किसी भी तरह की मुश्किल न हो। दरअसल जब जिला प्रशासन को ऐसा लगता है कि किसी घटना के कारण किसी भी क्षेत्र की शांति व्यवस्था खत्म हो सकती है, तब जिलाधिकारी द्वारा यह धारा लागू करने के आदेश जारी किए जा सकते है।
बता दे कि जिन क्षेत्रों में यह धारा लागू की जाती है, उन क्षेत्रों में पुलिस और सुरक्षाबलों को छोड़ कर किसी भी व्यक्ति को हथियार लाने और ले जाने की अनुमति नहीं होती। यानि ऐसी हर प्रक्रिया पर रोक लगा दी जाती है, जो इस धारा के अंतर्गत न हो। अब अगर हम इस धारा के नियमों की बात करे तो इस धारा की दो दशाएं होती है। सबसे पहली दशा तो ये है कि जिस तारीख को यह धारा लागू की जाती है उस तारीख से लेकर यह ज्यादा से ज्यादा दो महीने तक लागू रह सकती है। यानि अगर इस दौरान जिलाधिकारी इस धारा को हटाने के आदेश जारी कर दे तो इस धारा को हटाया जा सकता है। इसके इलावा दूसरी दशा में अगर दो महीने के बाद भी हालात न सुधरे, तब इसे लागू करने की जरूरत पड़ती है।
धारा 144 का उल्लंघन करने वाले नागरिक को मिल सकती है ये सजा :
ऐसे में राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेश के केस में केंद्र सरकार इस धारा की अवधि को बढ़ा सकती है। जी हां इसकी अवधि बढ़ा कर छह महीने तक की जा सकती है। बता दे कि जिस क्षेत्र में एक बार धारा एक सौ चौतालीस लागू हो जाएँ तो वहां के हर नागरिक को इस धारा के नियमों का पालन करना ही पड़ता है। ऐसी स्थिति में जो लोग नियमों का पालन नहीं करते, उन्हें पुलिस द्वारा धारा 107और 151 के तहत गिरफ्तार भी किया जा सकता है। यहाँ तक कि धारा का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को तीन साल की कैद भी हो सकती है। हालांकि ये एक जमानती अपराध है, जिसमें जमानत दे कर आसानी से छुटकारा मिल जाता है।
मगर यदि हम जिलाधिकारी की बात करे तो उनके द्वारा जारी किए गए आदेश में ये साफ तौर पर लिखा और कहा जाता है कि किन किन क्षेत्रों में इस धारा को लागू किया जाएगा और किन किन क्षेत्रों में यह धारा लागू नहीं होगी। ऐसे में भले ही आप पूजा पाठ करने के लिए इकट्ठे हुए हो या किसी भी तरह का प्रदर्शन करने के लिए लेकिन अगर आपके क्षेत्र में यह धारा लागू की गई होगी, तो आप जिलाधिकारी की अनुमति के बिना कुछ नहीं कर सकते। जी हां अगर आप जिलाधिकारी की अनुमति लिए बिना ये सभी प्रक्रियाएं करेंगे तो इससे आपकी गिरफ्तारी होना और आपको सजा मिलना लाजिमी है।
धारा 144 और कर्फ्यू लगने में होता है बहुत बड़ा अंतर :
इसके इलावा हम आपको ये भी बताना चाहते है कि धारा 144 लगने का मतलब कर्फ्यू लग जाना नहीं होता। यानि इस धारा के लगने में और कर्फ्यू लगने में काफी बड़ा अंतर होता है। दरअसल इन दोनों में फर्क ये है कि धारा 144 लगने के बाद लोगों को घर से बाहर निकलने और कामकाज करने की इजाजत नहीं होती। जब कि कर्फ्यू में ऐसा नहीं होता। गौरतलब है कि कर्फ्यू के दौरान लोगों को अपने घरों में ही रहना होता है और फिर सरकार द्वारा एक उचित समय निश्चित किया जाता है। इसी बीच लोगों को अपनी जरूरत की चीजें बाजार से लाने की खुली छूट होती है। हालांकि इस दौरान स्कूल, कॉलेज, मॉल और मार्किट आदि सभी तरह की सेवाएं बंद कर दी जाती है।
सिर्फ जरूरी सेवाओं को ही जारी रखा जाता है। जैसे कि मेडिकल, हॉस्पिटल, पुलिस या मीडिया आदि सब सेवाएं जरूर जारी रहती है। बता दे कि धारा एक सौ चौतालीस में ट्रैफिक व्यवस्था में किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं होता। वही दूसरी तरफ कर्फ्यू के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाता है। अब अगर हम इसी बात को साफ शब्दों में कहे तो धारा 144 में लोगों को समूह के रूप में इकट्ठे होने की अनुमति नहीं मिलती, लेकिन कर्फ्यू लोगों के जीवन पर नियंत्रण लगाने का काम करता है। अब तो आप समझ गए होंगे कि आखिर क्या होती है सीआरपीसी की धारा 144 और यह कब, क्यों लागू की जाती है।
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