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सामाजिक मुद्दों पर बनी ये फिल्में, आपको जरूर देखनी चाहिए

सामाजिक मुद्दों पर बनी हिन्दी फिल्मे समाज में जागरूकता फैलाने और जरूरी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने का एक प्रभावशाली तरीका हैं। इन फिल्मों में न केवल सामाजिक समस्याओं को उजागर किया गया है, बल्कि वे लोगों को इन मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रेरित भी करती हैं। यहां कुछ हिट हिन्दी फिल्मों की लिस्ट दी गई है, जो सामाजिक मुद्दों पर आधारित हैं।

आर्टिकल 15 :

साल 2019 में जातिगत भेदभाव और सामाजिक अन्याय पर बनी यह फिल्म भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव और इससे होने वाले सामाजिक अन्याय के मुद्दे को उठाती है, और संविधान के आर्टिकल 15 के महत्व को उजागर करती है।

थप्पड़ :

साल 2020 में रिलीज हुई घरेलू हिंसा और महिलाओं के अधिकार पर बनी यह फिल्म घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं की आवाज को उठाती है और यह दिखाती है कि एक थप्पड़ भी मायने रखता है।

हिंदी मीडियम :

साल 2017 में रिलीज हुई शिक्षा प्रणाली और सामाजिक वर्ग पर बनी यह फिल्म शिक्षा के महत्व और सामाजिक वर्ग के प्रभाव को दिखाती है, और समाज में समानता की आवश्यकता को उजागर करती है।

उड़ता पंजाब :

2016 में रिलीज हुई नशाखोरी और युवाओं पर इसका प्रभाव पर बनी फिल्म पंजाब में नशाखोरी की समस्या को उजागर करती है और इस समस्या के पीछे की सच्चाई को सामने लाती है।

टॉयलेट: एक प्रेम कथा :

साल 2017 में रिलीज हुई स्वच्छता और शौचालय की समस्या के मुद्दे पर बनी इस फिल्म ने भारत में स्वच्छता और शौचालय की कमी की समस्या को उठाया, और स्वच्छता के महत्व को सामने रखा।

मुल्क :

साल 2018 में सांप्रदायिकता और धार्मिक भेदभाव पर बनी यह फिल्म सांप्रदायिकता और धार्मिक पूर्वाग्रहों को चुनौती देती है और न्यायपालिका के माध्यम से समाज में आपसी सद्भाव का संदेश देती है।

मसान :

साल 2015 में जाति, लिंग और समाज में असमानता पर बनी यह फिल्म भारतीय समाज के कई पहलुओं को दिखाती है, जिनमें जातिगत भेदभाव, यौन उत्पीड़न, और मानवीय संवेदनाएं शामिल हैं।

पिंक :

साल 2016 में महिलाओं की सहमति और उनके अधिकार पर बनी यह फिल्म महिलाओं के खिलाफ अपराध और सहमति के महत्व पर जोर देती है। कोर्टरूम ड्रामा के जरिए समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव और गलत धारणाओं को सामने लाया गया है।

छपाक :

साल 2020 में रिलीज हुई यह फिल्म एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की सच्ची कहानी पर आधारित है। फिल्म ने समाज में एसिड अटैक की गंभीरता और उसके पीड़ितों की संघर्षपूर्ण जिंदगी को दिखाने का प्रयास किया है।

शुभ मंगल सावधान :

साल 2017 में रिलीज हुई एक ऐसी फिल्म है, जो पुरुषों की शारीरिक समस्याओं पर बात करती है, विशेष रूप से इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसे विषय पर, जो भारतीय समाज में एक वर्जित मुद्दा माना जाता है।

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