बता दे कि ये साल 1971 की बात है, जब दिसंबर की सर्द रातों में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था। तब पाकिस्तान हमेशा की तरह भारत की सीमा के अंदर तक घुसने की कोशिश कर रहा था और इसी वजह से कई बार पाकिस्तान के लड़ाकू विमान आगरा तक भी पहुँच गए थे। ऐसे में पाकिस्तान सेना की नजर से ताजमहल को छिपाये रखना इंडियन एयर फाॅर्स के लिए काफी जरूरी था। हालांकि तब आगरा में बने एयर फाॅर्स स्टेशन को टारगेट करते हुए कई बम भी गिराए गए थे, लेकिन अच्छी बात ये रही कि कोई भी बम निशाने पर नहीं गिरा।
पाकिस्तानी सेना की नजर से ताजमहल को बचाना इसलिए था जरूरी :
गौरतलब है कि पाकिस्तान की इस हरकत के बाद इंडियन एयर फाॅर्स के लिए इस बात को लेकर परेशानी बढ़ गई थी कि कही ताजमहल से अनुमान लगा कर दुश्मन दोबारा एयर फाॅर्स स्टेशन को टारगेट बनाने के लिए न आ जाएँ। यही वजह है कि उस दौरान ताजमहल की सुरक्षा करना काफी जरूरी हो गया था और ताजमहल को दुश्मन की नजरों से छुपाएं रखना भी उतना ही जरूरी था। आपको जान कर हैरानी होगी कि इसके बाद एयर फाॅर्स के आदेश पर करीब पंद्रह दिनों के लिए ताजमहल को ढक दिया गया था। जी हां साल 1971 में भारत पाक युद्ध लड़ चुके कर्नल रिटायर्ड एसएम कुंजरू का कहना है कि ताजमहल को पाकिस्तानियों की बमबारी से बचाने के लिए पंद्रह दिन के लिए बंद कर दिया गया था।
इंडियन एयर फाॅर्स ने ताजमहल को बचाने के लिए किया था इतना प्रबन्ध :
इसके इलावा ये सब करना इसलिए भी जरूरी हो गया था क्यूकि तीन दिसंबर को पाकिस्तानी एयर फाॅर्स ने अम्बाला, पठानकोट, आगरा और जोधपुर में हवाई हमले करने शुरू कर दिए थे। ऐसे में पाकिस्तान के लड़ाकू विमान के पायलटों को ताजमहल दिखाई न दे, इसलिए उसे हरे रंग के कपड़े से ढक दिया गया था। केवल इतना ही नहीं इसके साथ ही चांदनी रात में ताजमहल के पत्थर न चमक सके, इसलिए ताज के फर्श पर घास और पेड़ की टहनियां भी बिछा दी गई थी। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि इतना सब करने के बावजूद भी पाकिस्तान ने ताजमहल को निशाना बनाते हुए एक बम गिरा दिया था, लेकिन वह बम ताज में गिरने की बजाय यमुना नदी की रेट पर गिर गया था। जिसके बाद ताजमहल पाकिस्तानी बमबारी का निशाना बनने से बच गया था।
भारत पाक युद्ध के दौरान पहली बार बंद हुआ था ताजमहल :
वही अगर एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन की माने तो उनका कहना है कि 1920 में ताजमहल को संरक्षित इमारत घोषित कर दिया गया था। इसके बाद भारत पाक युद्ध के दौरान ही ताजमहल को बंद किया गया था और इसके बाद जब साल 1978 में यमुना नदी में बाढ़ आई थी, तब भी ताजमहल को सात दिनों के लिए बंद किया गया था। अगर वर्तमान समय की बात करे तो कोरोना और लॉक डाउन के चलते मार्च से लेकर सितम्बर तक ताजमहल पूरी तरह से बंद रहा था। यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो पहले के समय में पाकिस्तानी सेना की नजर से ताजमहल को बचाने के लिए इंडियन एयर फाॅर्स को बहुत कुछ करना पड़ा था, जो सच में तारीफ के काबिल है।