भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित ज्वाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ खास और दिलचस्प बातें
बता दे कि बीती चौदह नंबर को नेहरू जी की जयंती के दिन उन्हें न केवल याद किया गया था, बल्कि उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाओं को भी उजागर किया गया था। जी हां भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित ज्वाहरलाल नेहरू जी बच्चों को काफी पसंद करते थे और इसलिए बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कह कर बुलाते थे। बहरहाल चाचा नेहरू जितने गंभीर थे, उतने ही सहज थे। ऐसे में पंडित नेहरू के साथ कई सालों तक काम करने वाले आईपीएस अधिकारी केएफ रुस्तम जी की डायरी और बाद में इसी पर लिखी गई किताब में नेहरू जी के बारे में कई रोचक बातें जानने को मिली है। जिनसे आज हम आपको रूबरू करवाना चाहते है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें :
गौरतलब है कि पंडित नेहरू ने अपने समय में अफ्रीका और एशिया के देशों को एक मंच पर लाने के लिए भी खूब काम किया था और इंडोनेशिया के बांडुंग में एक सम्मेलन के दौरान पंडित नेहरू जी श्रीलंका के प्रधानमंत्री जॉन कोटलेवाला से बहुत ज्यादा नाराज हो गए थे। यहां तक कि ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पर हाथ तक उठा लिया था। दरअसल बात ये है कि जॉन कोटलेवाला ने पोलैंड, बुलगारिया, हंगरी और रोमानिया जैसे देशों को सोवियत सिंह का उपनिवेश बताया गया था और उनकी तुलना एशिया तथा अफ्रीका के दूसरे उपनिवेशों से की गई थी।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री से बेहद नाराज हो गए थे पंडित नेहरू :
ऐसे में पंडित नेहरू को ये बात इतनी ज्यादा बुरी लग गई थी कि वह अपनी सीट से उठ कर जॉन कोटलेवाला के पास पहुंच गए और फिर जोर से चिल्लाने लगे। इसके बाद उन्होंने गुस्से में तेज आवाज में कहा कि ये सब क्या है और भाषण देने से पहले उन्हें दिखाया क्यों नहीं। जिसके जवाब में जॉन कोटलेवाला ने कहा कि जब आप हमें अपना भाषण नहीं दिखाते तो मैं क्यों दिखाऊं। ये सुन कर पंडित नेहरू जी इतने ज्यादा गुस्सा हो गए कि मानो अभी हाथ उठा देते। ऐसे में वहां मौजूद इंदिरा गांधी ने उन्हें शांत किया, लेकिन इसके बावजूद भी दोनों में काफी समय तक बहस चलती रही।
इस तरह शांत हुआ था मामला :
इसके इलावा वहां मौजूद चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उन दोनों को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन फिर भी उनकी बहस शांत नहीं हुई। फिर जब अगले दिन सब कुछ सामान्य हो गया तो बाद जॉन सर ने पंडित नेहरू जी से माफी भी मांगी और कहा कि वह किसी भी रूप में सम्मेलन में किसी तरह की रुकावट नहीं चाहते थे। बता दे कि श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने भी अपनी किताब में इस घटना का जिक्र किया है और कहा कि नेहरू के साथ उनकी हमेशा से ही अच्छी दोस्ती रही है।