वैसे तो आपने टीवी पर बहुत से विज्ञापन ध्यान से देखे होंगे लेकिन क्या कभी साबुन के विज्ञापन को गौर से देखा है। जी हां टीवी पर जो साबुन के विज्ञापन आते है, अगर आप उन्हें गौर से देखे तो आपको पता चलेगा कि हर साबुन को लेकर दावे भले ही अलग अलग किए जाते हो, लेकिन उसकी झाग हमेशा सफेद ही दिखाई जाती है। मगर यहां सोचने की बात ये है कि हर विज्ञापन में साबुन की झाग सिर्फ सफेद रंग की ही क्यों दिखाई जाती है।
हर रंग की साबुन का झाग सफेद क्यों :
अब यूं तो विज्ञापनों को दिलचस्प बनाने के लिए साबुन की गुणवत्ता बताने के साथ साथ झाग उड़ाने के दृश्य भी दिखाए जाते है, ताकि लोग विज्ञापनों को जरूर देखे और विज्ञापनों को देखने के बाद कई लोगों ने अपने बचपन में उसी तरीके से झाग भी जरूर उड़ाया होगा। हालांकि हर साबुन और शैंपू डिटर्जेंट के विज्ञापन में एक बात जरूर देखी जाती है और वो ये कि प्रोडक्ट भले ही किसी भी रंग का क्यों न हो, लेकिन सब का झाग सफेद रंग का ही दिखाया जाता है।
बचपन में सिखाई गई थी ये बात :
बता दे कि विज्ञान की पढ़ाई के दौरान बचपन में ही ये सीखा और समझा दिया जाता है कि किसी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता। इसका मतलब ये है कि जब किसी वस्तु पर प्रकाश की किरणें पड़ती है, तो वह बाकी रंगों को सोख कर जिस रंग को परवर्तित करती, उस वस्तु का रंग वही हो जाता है।
इस वजह से झाग का रंग दिखाई देता है सफेद :
यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो जब कोई वस्तु सभी रंगों को सोख लेती है तो वह काली और जब सभी रंगों को परवर्तित करती है तो सफेद रंग की दिखाई देती है। बहरहाल साबुन का झाग सफेद दिखाई देने के पीछे का कारण भी यही है, क्योंकि झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है और इसकी सबसे छोटी इकाई पानी, हवा तथा साबुन से मिल कर बनी एक पतली सी फिल्म होती है। ऐसे में जब यह फिल्म गोल आकार लेती है, तो इसे ही बुलबुला कहा जाता है।
कई छोटे बुलबुलों का समूह होता है ये झाग :
जी हां असल में साबुन का झाग कई सारे छोटे बुलबुलों का समूह होता है और साबुन के एक बुलबुले में जाते ही प्रकाश की किरणें अलग अलग दिशा में परवर्तित होने लगती है, यानि किरणें एक दिशा में जाने की बजाय अलग अलग दिशा में बिखर जाती है। यही वजह है कि साबुन का एक बड़ा बुलबुला हमें पारदर्शी सतरंगी फिल्म की तरह दिखाई देता है। गौरतलब है कि झाग बनाने वाले छोटे छोटे बुलबुले भी इसी तरह की सतरंगी पारदर्शी फिल्मों से बने होते है, मगर वो इतने बारीक होते है कि हम उनमें सातों रंगों को नहीं देख पाते और इनमें प्रकाश भी इतनी तेजी से घूमता है कि ये एक ही समय पर सभी रंगों को परवर्तित करते रहते है।
पानी में घुलते ही छूटने लगता है साबुन का रंग :
वही अगर साबुन के रंग की बात करे तो जब साबुन पानी में घुलता है कि तो उसका रंग जरूर छूटता है और ऐसे में अगर आप कांच के किसी पारदर्शी बर्तन में पानी रख कर साबुन को उसमें घोल दे तो उस घोल का रंग साबुन के रंग जैसा ही हो जाएगा। हालांकि जब इस पानी से बुलबुला बनता है तो इसे बनाने वाली फिल्म में यह रंग इतना हल्का हो चुका होता है कि वह हमें दिखाई ही नहीं देता। यही वजह है कि साबुन भले ही किसी भी रंग का हो, लेकिन साबुन का झाग सिर्फ सफेद ही दिखाई देता है। दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी, इस बारे में हमें अपनी राय जरूर दीजियेगा।