हरियाणा के पीपली में किसानों पर हुआ लाठीचार्ज, मोदी सरकार के इन अध्यादेशों का कर रहे थे विरोध
बता दे कि हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों के साथ हुए दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। वो भी इसलिए क्यूकि भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के तीन अध्यादेशों का विरोध करने के लिए किसान बचाओ मंडी बचाओ रैली बुलाई थी। जहाँ किसानों पर हुआ लाठीचार्ज और उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। दरअसल इस रैली के लिए नौ सितम्बर से ही लोग जमा होने लगे थे। ऐसे में प्रशासन द्वारा पीपली क्षेत्र में धारा 144 लगाई गई थी। जी हां किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने जगह जगह पर नाकेबंदी की थी।
किसानों पर किया गया लाठीचार्ज :
गौरतलब है कि जब बड़ी संख्या में किसान कुरुक्षेत्र पहुंचे तब किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। जिससे कई किसान घायल भी हो गए। इस बारे में भारतीय किसान संघ का कहना है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ऐसा दुर्व्यवहार किया और वही एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि पुलिसकर्मियों पर पथराव किया गया था। इसके इलावा किसान नेता और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार पीएम सिंह ने गांव कनेक्शन से बातचीत करते हुए कहा है कि कोरोना के समय तो मोदी सरकार अध्यादेश लाने में नहीं घबराई, लेकिन किसानों की रैली से जरूर घबरा गई। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसानों के साथ ऐसा व्यव्हार बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और किसानों में हुई झड़प :
बता दे कि कांग्रेस ने तीनों अध्यादेशों के खिलाफ इस आंदोलन का समर्थन करने की बात कही है। वही अगर खबरों की माने तो किसानों की रैली में शामिल होने जा रहे मेहम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन कुछ घंटों बाद उन्हें रिहा भी कर दिया गया था। हालांकि रिहा होने के बाद उनका कहना है कि जब तक सरकार अध्यादेश वापिस नहीं लेती तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
इस वजह से सरकार ने पेश किए ये तीन कानून :
यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि सरकार ने कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश का नया कानून इस साल पेश किया है। इसका उद्देश्य एपीएमसी मंडियों के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था को तैयार करना है। फिलहाल रैली के दौरान जो किसानों पर हुआ लाठीचार्ज है, उसकी काफी आलोचना की जा रही है और मोदी सरकार के खिलाफ कई मुद्दे बनाएं जा रहे है।
इन अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं किसान :
पहले कानून के मुताबिक हर व्यापारी केवल मंडी से ही किसान की फसल खरीद सकता था। अब व्यापारी को इस कानून के तहत मंडी के बाहर से फसल खरीदने की छूट मिल जाएगी। मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन किया है अनाज, दालों, खाद्य तेल, प्याज, आलू आदि को जरूरी वस्तु अधिनियम से बाहर करके इसकी स्टॉक सीमा समाप्त कर दी गई है। केंद्र ने नया कानून- मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 भी पारित किया है, जो कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है, ताकि बड़े बिजनेस वाले और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें। सरकार कांट्रेक्ट फॉर्मिंग को बढावा देने की बात कह रही है। सरकार ने अन्नदाता पर लाठीचार्ज कर गलत किया है। अब किसानों का यह कहना है की हम सरकार को चार दिन का समय देते है। अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो प्रदेशभर के किसान 15 सितंबर से जिलास्तर पर धरना शुरू करेंगे।