रेलवे लेती है फिल्म की शूटिंग के लिए इतना किराया, मेकर्स के छूट जाते हैं पसीने
बॉलीवुड फिल्मों में अक्सर दर्शकों को रेलवे स्टेशनों या ट्रेनों के सीन देखे जाते हैं। अब तक कई फिल्मों में ट्रेन को किसी न किसी माध्यम में देखा गया है और इससे फिल्म की अलग ही शोभा बढ़ती है। हालांकि क्या आपने कभी सोचा है कि इन सींस को करने के लिए मेकर को रेलवे को बहुत सारे पैसे देने पड़ते हैं।
मेकर्स को बहुत लगता है पैसा :
ऐसे तो देखा जाए तो बहुत लोगों के मन में ऐसा कोई प्रश्न नहीं उठता होगा लेकिन मेकर्स को किसी भी फिल्म में रेलवे सामानों के द्वारा कोई भी सीन देने के लिए अच्छी फीस देनी पड़ती है। अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग है शुल्क। फिल्मों में अक्सर ट्रेन का सीन देखा जाता है। इन ट्रेनों में फिल्मों में जब कोई अभिनेता या अभिनेत्री सफर करता है तो यह सीन क्रिएट करने में मेकर्स को रेलवे को भारी-भरकम शुल्क चुकाना पड़ता है।
रेलवे करता है लाखों रुपए चार्ज :
चलिए जानते हैं किस तरह रेलवे करती है चार्ज। अगर किसी फिल्म में शूटिंग हेतु मेकर्स को ट्रेन का एक इंजन और 4 बोगियां चाहिए होती है तो इसके लिए उन्हें एक दिन के लिए रेलवे को लाखों रुपए तक का भुगतान करना पड़ता है। अगर मीडिया रिपोर्ट की माने तो किसी मालगाड़ी का उपयोग करने के लिए न्यूनतम रेलवे को मेकर्स के द्वारा 200 किलोमीटर का चार्ज देना होता है। हैरानी की बात यह है कि चाहे किसी प्रकार की भी सूटिंग हो, क्यों ना 1 किलोमीटर के लिए ही शूटिंग हो परंतु रेलवे पूरा शुल्क लेती है, इसका यह मतलब है कि 22 लाख 66 हजार प्रतिदिन की दर से रेलवे चार्ज करती है।
ट्रेन रोकने के लिए भी शुल्क :
अगर किसी फिल्म या धारावाहिक मैं ट्रेन रोकने का कोई सीन फिल्म आना होता है तब उसके लिए भी मेक अ स्कोर पैसे देने पड़ते हैं। बताया जाता है कि उसके लिए ₹900 प्रति घंटे के हिसाब से एक्स्ट्रा चाय लिया जाता है। इसका मतलब यह है कि जोक फिल्में ट्रेन के नाम पर ही बनी होती है और जिस में ट्रेनों की अच्छी खासी सीन होती है उन मेकर्स को अपनी जेब बहुत ज्यादा ही ढीली करनी पड़ती है। उदाहरण के तौर पर धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, जितेंद्र, हेमा मालिनी, नीतू कपूर एवं परवीन बॉबी की द बर्निंग ट्रेन और राजेश खन्ना की द ट्रेन।
असली ट्रेन और स्टेशन के लिए ज्यादा खर्च :
रेलवे मैप फिल्मों की शूटिंग को ध्यान में रखते हुए इन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया है। जिसमें पहली श्रेणी में हर दिन के लिए लगभग 1 लाख फीस और द्वितीय श्रेणी एवं तृतीय श्रेणी वाले स्टेशनों के लिए 50 हजार प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाना होता है।
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